क्या इस ‘चालाकी’ से हम चीन को पीछे छोड़ेंगे?

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जीडीपी को लेकर हाल में आए आंकड़े भले ही देश के लिए पीठ थपथपाने वाले हों, लेकिन इस पर कई सवाल खड़े होते हैं। गणना के नए तरीके को अपनाकर यह दिखाया गया है कि भारत का ग्रोथ रेट दिसंबर में समाप्त हुए क्वॉर्टर में 7.5 फीसदी रहा है और इस साल इसे 7.4 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है।इस आंकड़े को लेकर भारतीय उद्योग जगत ने अपनी शंका प्रकट की है। इंडियन रिटेलर शॉपर्स स्टॉप के मैनेजिंग डायरेक्टर गोविंद श्रीखांडे हाल के जीडीपी अनुमानों पर हैरान हैं। उन्होंने पूछा है, क्या यह आंकड़ों की बाजीगरी है या सच से भी इसका कोई लेना देना है? उन्होंने आगे कहा, ‘मैं नहीं समझ सका हूं कि वे इसकी गणना कैसे कर रहे हैं लेकिन अब तक हमें यह चीज बिजनस में नजर नहीं आई है।’

एक्सपोर्ट्स में गिरावट और तेल व सोना के अलावा अन्य चीजों के इंपोर्ट में नरमी से इस बात का पता चलता है कि घरेलू और विदेशी मार्केट में मांग की कमी है। दिसंबर में एक्सपोर्ट्स में 2.3 प्रतिशत मासिक गिरावट दर्ज की गई जबकि सोना और तेल के अलावा अन्य वस्तुओं के इंपोर्ट में 7.1 फीसदी की गिरावट हुई है।

सोमवार को रिपोर्ट आई थी कि भारत ने ग्रोथ के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है। सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बताया, ‘हमें इन आंकड़ों पर आंख मूंद कर विश्वास नहीं करना चाहिए।’

यह एशिया की तीसरी सबसे बड़ी उस इकॉनमी के लिए एक बदलाव है, जो ग्रोथ कैलकुलेशन के पुराने तरीके के आधार पर घटिया ग्रोथ दर के संकट से बाहर निकलने के लिए हाथ पैर मार रही थी।

फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो, स्मॉल ऐंड मीडियम एंटरप्राइजेज (एसएमई) के सेक्रटरी जनरल अनिल भारद्वाज ने बताया कि बिजली, इंफ्रास्ट्रक्चर और हाउसिंग सेक्टर्स में लंबित परियोजनाएं और क्षमता से अधिक मांग छोटे से लेकर बड़े स्तर तक एंटरप्राइजों में सप्लाई चेन को प्रभावित करते हैं।

भारद्वाज ने बताया, ‘ये आंकड़ें हैरान करने वाले हैं। हमें जमीनी स्तर से जो फीडबैक मिल रहे हैं, वे पॉजिटिव नहीं हैं। एसएमई को ऑर्डर नहीं मिल रहे हैं। आंकड़ों में बिजनस सेंटिमेंट में सुधार हुआ है जबकि हकीकत तो यह है कि जमीनी स्तर पर कोई बेहतरी नहीं आई है।

संवाददाताओं से चीफ फाइनैंशल ऑफिसर आर.शंकर रमन ने बताया, भारतीय उद्योग जगत हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत होने की उम्मीद कर रहा है लेकिन वह भी इंतजार करो और देखने की मुद्रा में है।

सूत्रों ने बताया,’हर कोई इस आंकड़े को लेकर खुश है कि भारत का जीडीपी तेजी से बढ़ा है लेकिन हम इस बात को लेकर चिंतित हैं कि कर संग्रहण में गिरावट आई है।’

वहीं सांख्यिकीविद ग्रोथ के अपने अनुमानों के बचाव में उतर आए हैं। वह इसका श्रेय बिजनस क्षमता में सुधार की बेहतर पैमाइश को देते हैं। उनका कहना है कि बिजनस क्षमता में आई बेहतरी के कारण लाभ में भारी इजाफा हुआ है, जिसने सेल्स में आई कमी की भरपाई की है।

ऐसी स्थिति में वित्त मंत्री अरुण जेटली और आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन को विश्वसनीय आंकड़े की जरूरत है क्योंकि जेटली को अपना बजट तैयार करना है और राजन इसके आधार पर तय करेंगे कि ब्याज दरों में कटौती की जाए या नहीं।

Navbharat Times

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