कॉल ड्रॉप पर टेलिकॉम फर्मों को ट्राइ की चेतावनी
|टेलिकॉम रेग्युलेटर ने फोन कंपनियों को कॉल ड्रॉप के मसले पर यूजर्स को हर्जाना देने के आदेश का पालन करने से जुड़ी रिपोर्ट जमा करने के लिए सोमवार तक का वक्त दिया है। रेग्युलेटर ने कहा कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो उन पर कार्रवाई की जा सकती है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस संबंध में अगर टेलिकॉम कंपनियां दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाती हैं तो इससे उपभोक्ताओं की निगाह में उनकी ही छवि खराब होगी। उन्होंने कहा, ‘कंपनियों का पूरा अधिकार है कि वे ऊपरी अदालत में जाएं, लेकिन इसके बजाय उन्हें अपनी सर्विसेज बेहतर करने पर ध्यान देना चाहिए। यह उपभोक्ताओं से जुड़ा मुद्दा है और उनको मिलने वाली सेवाओं में सुधार होना चाहिए।’
अधिकारी ने कहा कि टेलिकॉम कंपनियों को ट्राइ के मुआवजा से जुड़े नियमों को ‘टकराव पैदा करने वाला’ नहीं मानना चाहिए और इसकी बजाय उसके साथ मिलकर सेवाओं में सुधार पर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हमने यह तो कहा ही है कि छह महीने में हम आदेश की समीक्षा करेंगे। अगर वे सेवाएं बेहतर करते हैं तो हम इस आदेश पर नए सिरे से गौर करेंगे।’
दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को मोबाइल फोन ऑपरेटर्स की उस याचिका को रद्द कर दिया था, जिसमें उन्होंने ट्राइ के अक्टूबर 2015 के निर्णय को चुनौती दी थी। ट्राइ ने कहा था कि हर कॉल ड्रॉप के लिए टेलिकॉम कंपनियों को सब्सक्राइबर्स को एक रुपये का हर्जाना देना होगा और एक दिन में अधिकतम तीन कॉल ड्रॉप्स पर यह नियम लागू होगा। कंपनियां हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की योजना बना रही हैं, लेकिन इससे पहले वे अपने मामले का दमखम भी तौल रही हैं।
अधिकारी ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश ने साफ कर दिया है कि फोन कंपनियां इस नियम का निराधार तरीके से विरोध कर रही हैं। कोर्ट के आदेश में इस मामले में ट्राइ के अधिकार क्षेत्र को जायज बताया गया है। कोर्ट ने रेग्युलेशन के मुताबिक पहली जनवरी से हर्जाना दिए जाने का आदेश दिया है।
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