कॉर्पोरेट वॉर में फंसा नेवी का ₹20000 करोड़ का प्रॉजेक्ट

मनु पब्बी, नई दिल्ली
अनिल अंबानी की रिलायंस नेवी ऐंड इंजीनियरिंग लिमिटेड (RNEL) ने नौसेना के एक सीनियर अधिकारी के खिलाफ रक्षा मंत्रालय में शिकायत की है। उसने अधिकारी पर एक कॉन्ट्रैक्ट में अपनी प्रतिद्वंद्वी कंपनी लार्सन ऐंड टूब्रो का पक्ष लेने का आरोप लगाया है। आरएनईएल का कहना है कि अधिकारी के बेटे की नौकरी एलऐंडटी में लगी हुई है। इस शिकायत पर आंतरिक जांच चल रही है। इसकी वजह से ‘मेक इन इंडिया’ के तहत 20,000 करोड़ रुपये में नेवी के युद्धक पोत बनाने की डील फंस गई है। इस मामले में ‘पक्षपात करने और इनसाइडर इंफॉर्मेशन देने’ के आरोप लगाए गए हैं।

चार एंफीबियस वॉरशिप भारत में बनाने का कॉन्ट्रैक्ट पिछले साल से लटका हुआ है। सालभर पहले रक्षा मंत्रालय ने ये वॉरशिप बनाने के लिए एलऐंडटी और आरएनईएल को शॉर्टलिस्ट किया था। सहयोगी अखबार ईटी को पता चला है कि आरएनईएल की शिकायत में खासतौर से यह कहा गया है कि एक टॉप नेवी ऑफिसर के पुत्र एलऐंडटी के डिफेंस डिवीजन में काम करते हैं। अधिकारियों ने बताया कि इस मामले की रक्षा मंत्रालय में जांच शुरू होने पर संबंधित अधिकारी ने भी अपनी राय भेजी है, जो वाइस एडमिरल पद पर हैं।

ईटी के सवालों के जवाब में आरएनईएल के प्रवक्ता ने कहा, ‘हां, हमने इस मामले में आधिकारिक रूप से शिकायत की है।’ हालांकि उन्होंने डीटेल्स देने से मना कर दिया। संपर्क करने पर एलऐंडटी के अधिकारियों ने आरोपों को खारिज किया। एलऐंडटी के एक टॉप ऑफिशियल ने कहा, ‘हमारी कंपनी ऐसी हरकतें नहीं करती है।’ नेवी ने बार-बार सवाल भेजने पर भी कोई कॉमेंट नहीं किया।

इस कॉन्ट्रैक्ट के लिए दोनों कंपनियों में तीखी होड़ चल रही है। जो भी कंपनी यह ठेका हासिल करेगी, उसकी किस्मत चमक जाएगी।

इसलिए होता है इस्तेमाल
लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक वॉरशिप का उपयोग समुद्र में सैनिकों के अलावा टैंक और लड़ाकू हेलीकॉप्टर ले जाने में होता है। यह किसी भारतीय प्राइवेट सेक्टर शिपयार्ड में बनाया जाने वाला सबसे बड़ा वॉरशिप होगा।

आरएनईएल ने इस कॉन्ट्रैक्ट के लिए फ्रेंच नेवल ग्रुप से हाथ मिलाया है, वहीं एलऐंडटी की टेक्नॉलजी पार्टर स्पेन का नेवेंशिया ग्रुप है। चारों वॉरशिप भारतीय यार्ड में विदेशी पार्टनर की मदद से बनाए जाने हैं। विदेशी पार्टनर आधुनिक डिजाइन और टेक्नॉलजी के मामले में मदद देगा।

दोनों कंपनियों को 2017 में शॉर्टलिस्ट किया गया था। प्रोक्योरमेंट प्रोसेस के अगले कदम के तहत कमर्शल बिड्स ओपन की जानी हैं और यह तय करना है कि सबसे कम ऑफर के साथ विनर कौन है। यह प्रक्रिया फिलहाल रुक गई है।

इससे पहले सिलेक्शन प्रोसेस में एबीजी शिपयार्ड की बोली को खारिज कर दिया गया था। यह कंपनी अभी बैंकरप्सी प्रोसीडिंग्स से गुजर रही है।

हाल में ऐसी रिपोर्ट्स आई थीं कि एक इंटरनल ऑडिटर ने आरएनईएल की मौजूदा देनदारियों और लेंडर्स की ओर से लोन की मंजूरी रद्द करने से इस कंपनी के कारोबार चलाते रहने की क्षमता पर सवाल उठाए थे।

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