कैसे भारत के लिए अच्छा हो सकता है एपल का भारत में आईफोन ना बनाना
|वहीं, अपने प्रॉडक्ट्स पर मार्जिन की डिमांड के लिए मशहूर एपल को फैक्टरियों की जरूरत होगी, जो बेहद कम मार्जिन पर काम करेंगी और निकट भविष्य में उनका काम केवल फोन एसेंबलिंग होगा। इसके अलावा, इंडियन कंजयूमर्स को भारत में बने आईफोन्स पर ज्यादा प्राइस अडवांटेज नहीं मिलेगा, उन्हें 60,000 रुपये कीमत वाले फोन पर करीब 5,000 रुपये की ही बचत होगी।
टेक एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत को एपल के ब्रेन वर्क (प्रॉडक्ट्स क्रिएशन) लिए एक ग्लोबल हब बनाना, एक ऐसा आइडिया है जिस पर गंभीर विचार की जरूरत है। एपल का मानना है कि भारत उसके लिए अगला बड़ा मार्केट है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत के लिए एपल प्रॉडक्ट्स, iOS का क्रिएटिव तरीके से स्वदेशीकरण करने की जरूरत है और यह काम यहां कहीं अच्छे ढंग से हो सकता है।
इनमोबी के सीईओ नवीन तिवारी का कहना है, ‘दुनिया भर में 75 फीसदी नए स्मार्टफोन्स भारत में होंगे। इस मार्केट में एपल के लिए प्रॉडक्ट क्रिएशन या ब्रेन पार्ट उतना ही महत्वपूर्ण है।’ तिवारी का कहना है कि एपल को iOS के लिए इकोसिस्टम मजबूत करने की दिशा में काम करना चाहिए। उनका कहना है कि स्थानीय स्तर पर बनाए गए ऑपरेटिंग सिस्टम के मुकाबले भारत में iOS के कम यूजर्स हैं। उदाहरण के तौर पर देश में इंडस OS का मार्केट शेयर 5.6 फीसदी है, जो iOS के 2.5 फीसदी शेयर से कहीं ज्यादा है। तिवारी का कहना है, ‘पश्चिम में एपल का इकोसिस्टम इसलिए इतना मजबूत है, क्योंकि उसके एप्लिकेशंस सही मायने में वहां की जरूरतों पर खरे उतरते हैं।
यही असर भारत में पैदा करने के लिए स्वदेशी ऐप डिवेलपमेंट के साथ साझेदारी करके एक प्रॉडक्ट इकोसिस्टम तैयार करना होगा। इससे एपल को अपना मार्केट शेयर बढ़ाने में मदद मिलेगी।’ ओवरऑल स्मार्टफोन मार्केट में वॉल्यूम के लिहाज से भारत में एपल का मार्केट शेयर केवल 2 फीसदी है। वहीं, 30,000 रुपये से ज्यादा की कीमत वाले प्रीमियम सेगमेंट में आईफोन का मार्केट शेयर 37 फीसदी है।
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