केजरीवाल ने जंग से पूछा, ‘किसने दिया आदेश का अधिकार?’

नई दिल्ली
दिल्ली में अफसरों की नियुक्ति पर उप राज्यपाल नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच टकराव और बढ़ गया है। अफसरों की नियुक्तियों को रद्द करने वाली चिट्ठी के बाद जंग के ऑफिस ने बुधवार को बयान जारी कर कहा कि लेफ्टिनेंट गवर्नर को मुख्य सचिव और सचिव स्तर के अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग की पावर है। इसके ठीक बाद केजरीवाल ने जंग से सवाल पूछ डाला कि संविधान की कौन सी धारा एलजी को दिल्ली सरकार को आदेश और निर्देश देने की शक्ति देती है?

इस बीच दिल्ली सरकार से नाराज 100 से अधिक आईएएस अधिकारी इस स्थिति से निपटने के लिए बैठक कर रहे हैं। इन अधिकारियों का मानना है कि जंग और केजरीवाल की लड़ाई में वे बेवजह पिस रहे हैं।

बुधवार शाम को एलजी ऑफिस की तरफ से बयान जारी कर साफ कर दिया गया कि अधिकारियों की नियुक्ति और तबादले से जुड़े अधिकार नजीब जंग के पास ही हैं। बयान में कहा गया, ‘एलजी की सीएम को आज लिखी चिट्ठी में स्पष्ट कर दिया गया है कि सीएम द्वारा जारी आदेश संविधान सम्मत नहीं हैं। सेवाओं से जुड़े अधिकार राष्ट्रपति द्वारा एलजी को दिए गए हैं। एलजी को सीएम की सलाह से मुख्य सचिव और सचिव स्तरीय अधिकारियों के ट्रांफसर और पोस्टिंग का अधिकार है।’

इससे पहले जंग ने आप सरकार से टकराव बढ़ाते हुए पिछले चार दिन में की गई सभी नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। केजरीवाल को लिखे पत्र में जंग ने आप सरकार के उस आदेश को चुनौती दी जिसमें अधिकारियों से मुख्यमंत्री या अन्य किसी मंत्री की मंजूरी लिए बिना उनके निर्देशों का पालन नहीं करने को कहा गया है।

उधर, केंद्र सरकार ने जंग और केजरीवाल के विवाद से यह कहकर पल्ला झाड़ दिया कि दोनों साथ बैठकर कार्यवाहक मुख्य सचिव शकुंतला गैमलिन की नियुक्ति से शुरू हुई तकरार का हल खोजें। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात करने के बाद पत्रकारों से कहा, ‘उप राज्यपाल और मुख्यमंत्री को साथ बैठना और हल ढूंढना चाहिए। मुझे भरोसा है कि उप राज्यपाल और मुख्यमंत्री जरूर ही कोई हल ढूंढ लेंगे।’ बहरहाल, सिंह ने इससे इनकार किया कि राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान उन्होंने नजीब और केजरीवाल के बीच जारी तनातनी पर कोई बात की।

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