केंद्र ने मानी केजरीवाल की मांग लेकिन
|विशेष संवाददाता, नई दिल्ली
मेट्रो किराए में बढ़ोतरी को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच शुरु हुई लेटर वॉर अब तक चल रही है। दोनों एक दूसरे को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश में लगे हैं। अब केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्री हरदीप पुरी ने दिल्ली के सीएम को पत्र लिखकर कहा है कि मेट्रो किराए में बढ़ोतरी की जांच नहीं हो सकती, क्योंकि यह नियमों के खिलाफ है। मेट्रो के कामकाज को और बेहतर बनाने के लिए अगर दिल्ली सरकार चाहती है कि केंद्र सरकार विशेषज्ञों का ग्रुप बनाए तो उस पर जरूर बातचीत हो सकती है। हरदीप पुरी ने दिल्ली में गाड़ियों की भीड़भाड़ कम करने के लिए बनाई गई रिपोर्ट पर एक्शन न लेने और मेट्रो के चौथे फेज का प्रस्ताव भेजने में देरी के लिए दिल्ली सरकार की खिंचाई की है।
हरदीप पुरी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पत्र का जवाब देते हुए लिखा है कि मेट्रो किराया बढ़ाने की सिफारिश एक स्वतंत्र पैनल ने की है। नियमों के मुताबिक उसकी सिफारिशों पर बढ़ाए गए किराए की जांच नहीं हो सकती। इसी वजह से शहरी विकास मंत्रालय के आला अफसर ने पत्र लिखकर दिल्ली सरकार को बताया था कि नियमों के तहत किराए बढ़ोतरी की जांच का आदेश नहीं दिया जा सकता।
हालांकि हरदीप पुरी का कहना है कि दिल्ली मेट्रो का बेहतरीन कामकाज रहा है। इस वजह से दिल्ली मेट्रो को कई अवॉर्ड भी मिले हैं। इसे और बेहतर बनाने के लिए जरूर चर्चा हो सकती है। पुरी ने दिल्ली सरकार को याद दिलाया है कि दिल्ली को ट्रैफिक जाम से मुक्त कराने के लिए मंत्रालय ने एक रिपोर्ट तैयार की थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक काम करने के लिए मंत्रालय ने पिछले साल 22 जून को यह रिपोर्ट दिल्ली सरकार को भेजी थी, लेकिन इस पर काम नहीं हुआ। अब तक दिल्ली सरकार ने मेट्रो के चौथे चरण के लिए प्रस्ताव केंद्र सरकार को नहीं भेजा है। पिछली बार 26 सितंबर को अरविंद केजरीवाल ने उन्हें आश्वासन दिया था कि 10 दिन में दिल्ली मेट्रो के चौथे फेज का प्रस्ताव केंद्र को भेज दिया जाएगा, अब तक उसका इंतजार किया जा रहा है। हरदीप पुरी का कहना है कि 16 अक्टूबर को हुई सांसदों की बैठक में भी सांसदों ने मांग की थी कि मेट्रो के चौथे फेज पर काम जल्द शुरू हो। पत्र में दिल्ली और मेरठ के बीच बनने वाली रैपिड रेल में हो रही देरी का भी मामला उठाया है। लिखा है कि रैपिड रेल का सिर्फ दस फीसदी हिस्सा ही दिल्ली में है, लेकिन अब तक दिल्ली सरकार ने इस पर अपनी सहमति नहीं दी है। इस वजह से प्रोजेक्ट को आगे नहीं बढ़ाया जा पा रहा।
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