किराना स्टोर्स पर पैठ बनाकर कोलगेट और नेस्ले को पछाड़ सकती है पतंजलि
|पेश से कॉर्पोरेट टैक्स कंसल्टेंट मुंबई की निवासी चित्रा कार्तिक पिछले साल दिसंबर में जब केरल स्थित अपने अंकल के घर गई थीं। उन्होंने दिखा कि उनके अंकल ने घर के पहले फ्लोर पर पतंजलि की फ्रेंचाइजी शुरू कर दी है। यह पतंजलि के उत्पादों का प्रभाव था कि उन्होंने 1,000 रुपये के सामान की खरीद कर ली। उन्होंने बहुत ज्यादा आइटम नहीं खरीदे थे, इसलिए वह जल्दी ही समाप्त हो गए और दोबारा खरीददारी के लिए उन्हें मुंबई स्थित ग्रॉसरी स्टोर जाना पड़ा।
चित्रा कार्तिक कहती हैं, ‘कई सप्ताह तक मैंने अपने घर के पास मौजूद रिटेल आउटलेट्स पर पतंजलि के ‘दंत कांति’ टूथपेस्ट की खोज की। लेकिन यह कहीं नहीं मिला और आखिर मुझे हिमालय कंपनी के टूथपेस्ट से ही संतोष करना पड़ा। दंत कांति मंजन काफी अच्छा है, मेरी सास भी इसे काफी पसंद करती हैं। लेकिन हमारे पास इसकी तलाश करने के लिए वक्त नहीं होता है।’
चित्रा ऐसी अकेली नहीं हैं, तमाम लोग हैं जो पतंजलि के उत्पादों का इस्तेमाल करना चाहते हैं, लेकिन उन्हें यह उपलब्ध नहीं हो पाते। 50 वर्षीय फिटनेस ट्रेनर सौदामिनी पाणि कहती हैं , ‘पतंजलि की ओर से आटा, शुगर और दालों के तमाम विज्ञापन दिखाए जाते हैं, लेकिन जब भी हम स्टोर पर पहुंचते हैं तो ये आइटम आउट ऑफ स्टॉक होते हैं। बिस्कुट और जूस जरूर उपलब्ध होते हैं। लेकिन मेरा सवाल है कि जब आप डिमांड पूरी नहीं कर सकते तो इतने प्रचार की क्या आवश्यकता है।’
पतंजलि में 94 पर्सेंट हिस्सेदारी को लेकर हाल ही में चर्चा में आए कंपनी के एमडी आचार्य बालकृष्ण भी मानते हैं कि डिमांड और सप्लाइ में भारी गैप है। बालकृष्ण बताते हैं कि 1200 पतंजलि चिकित्सालयों, 2500 आरोग्य केंद्रों और 7,000 स्टोर गांव में होने के बाद भी हम सप्लाइ नहीं दे पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी टीम टियर- 1 और 2 शहरों में 250 मेगा स्टोर खोलने की तैयारी में है। इसके अलावा पतंजलि बिग बाजार, रिलायंस रिटेल, हाइपरसिटी, स्टार बाजार, डी-मार्ट, स्पेंसर्स, मोर, अपोलो फार्मेसी जैसे रिटेलर्स से भी करार करने की तैयारी में है। इनके जरिए पतंजलि को देश भर के 4,500 स्टोर्स तक अपनी पहुंच बनाने में सफलता मिल सकती है। इसके अलावा ऑनलाइन खरीददारी की सुविधा भी है।
हालांकि बड़ा तथ्य यह है कि देश में सिर्फ एक पर्सेंट लोग ही एफएमसीजी आइटम्स की खरीद ऑनलाइन करते हैं। नील्सन इंडिया के सेल्स विभाग से जुड़े विजय उदासी कहते हैं, ‘देश के एफएमसीजी बिजनस में 90 पर्सेंट हिस्सेदारी किराना स्टोर्स की है। किसी भी नए ब्रैंड के लिए अपनी सफलता या असफलता इन किराना स्टोर्स पर अपनी मौजूदगी से ही तय होती है।’
किराना स्टोर्स में पैठ बनाने से बनेगी बात?
एफएमसीजी इंडस्ट्री के अनुमानों के मुताबिक पतंजलि के उत्पाद फिलहाल देश भर की करीब दो लाख किराना दुकानों पर उपलब्ध हैं। हिंदुस्तान यूनिलीवर के मुकाबले यह 1/30 ही है। यूनिलीवर के प्रॉडक्ट्स करीब 60 लाख किराना स्टोर्स पर मिल रहे हैं। लेकिन पतंजलि की ओर से लगातार बन रही पैठ से मल्टीनैशनल कंपनियों की नींद हराम हो गई है। कोलगेट और नेस्ले की बात करें, जिन्हें रामदेव ने हाल ही में पछाड़ने की बात कही थी, तो इनके प्रॉडक्ट क्रमश: 47 लाख और 35 लाख स्टोर्स पर मिलते हैं। ऐसे में यह आसानी से समझा जा सकता है कि पतंजलि को इन्हें पछाड़ने में अभी कुछ वक्त लगेगा और किराना स्टोर्स पर पहुंच बनाकर ही पतंजलि इस को अंजाम दे सकती है।
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