कानपुर: आंदोलनकारी किसानों की धमकी, पुलिस दिखी तो गोली चलाने से भी गुरेज नहीं

कानपुर
घाटमपुर तहसील में निर्माणाधीन पावर प्लांट के मुआवजे के मसले पर बीते रविवार से बढ़ा तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। लहुरीमऊ गांव की धर्मशाला में डटे किसानों ने आसपास के 200 मीटर से गुजरने वाले रास्तों पर पेड़ डालकर बंद कर दिया है। किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर पुलिस या पीएसी धर्मशाला में जबरन घुसने की कोशिश की तो वे उन पर गोली चलाने से नहीं चूकेंगे। धर्मशाला से कुछ ही दूरी पर पीएसी ने डेरा डाल रखा है। मंगलवार को कोई भी अधिकारी किसानों से बात करने नहीं पहुंचा। बुधवार को किसान नेता राकेश टिकैत के आने के बाद हालत और तनावपूर्ण हो सकती है।

‘पुलिस दिखी तो गोली चलाने से भी गुरेज नहीं’
पुलिस भारतीय किसान यूनियन के नेता निरंजन सिंह राजपूत को गिरफ्तार करना चाहती है, लेकिन राजपूत ने धमकी दी है कि अगर पुलिस आई तो किसान गोली चलाने से नहीं चूकेंगे। निरंजन सिंह राजपूत ने कहा है कि पुलिस और पीएसी अगर धर्मशाला के पास भी आई तो किसान गोली चलाने से नहीं चूकेंगे। हमने पर्याप्त तादाद में हथियार इकट्ठे कर लिए हैं। उनका कहना है कि पुलिस ने 18 दिसंबर को किसानों को बेरहमी से पीटा था। प्रशासनिक अधिकारी आकर शांति से बात करें तो स्वागत है। हमारी मांग यह भी है कि कानपुर-हमीरपुर में अब तक लिखीं तीन झूठी एफआईआर खारिज हों।


किसान नेता निरंजन सिंह राजपूत (हरी टोपी में)
क्या है मामला
यमुना किनारे घाटमपुर में नेवेली लिग्नाइट कॉरपोरेशन 1980 मेगावॉट का पावर प्लांट लगा रहा है। इसके लिए 8 गांवों की 828 हेक्टेयर जमीन ली गई है। बीते 20 अक्टूबर को पावर मिनिस्टर पीयूष गोयल की मौजूदगी में पावर प्लांट का काम शुरू कराया गया था। इस दिन भी चार गुना मुआवजे की मांग को लेकर किसानों ने हंगामा किया था। 21 नवंबर से किसान जानकीदेवी धर्मशाला में लगातार धरने पर बैठे हैं। हमीरपुर में सीएम के प्रोग्राम में हंगामा करने के आरोपी भारतीय किसान यूनियन नेता निरंजन सिंह राजपूत को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस 18 दिसंबर को गई थी। यहां पुलिस ने लाठी चलाई तो जवाब में पथराव हुआ था। इसमें 10-11 पुलिसवाले जख्मी हो गए थे। इसके बाद किसान धर्मशाला में सिमट गए।

हथियारों से लैस हैं किसान
जानकीदेवी धर्मशाला के आसपास के करीब 200 मीटर एरिया के सारे रास्ते किसानों ने पेड़ डालकर रोक दिए हैं। पीएसी और पुलिस दूर से तमाशा देख रही है। हर शख्स को चेकिंग और संतुष्ट होने के बाद किसान अंदर जाने दे रहे हैं। धर्मशाला में हथियारों से लैस करीब 400-500 किसान मौजूद हैं। पावर प्लांट का काम फिलहाल रुका हुआ है। रविवार रात हुए बवाल के बाद पुलिस की रणनीति थी कि कोई भी आंदोलनकारी किसान यहां से बाहर निकलकर कानपुर में पीएम मोदी की रैली में न पहुंच जाए। तब से कोई भी प्रशासनिक अफसर किसानों से बात करने के लिए नहीं पहुंचा है।


(किसानों ने धर्मशाला की तरफ जाने वाले सभी रास्तों को ब्लॉक कर रखा है)
बाहर PAC, अंदर किसान डटे
तनाव के मद्देनजर धर्मशाला के बाहर बड़ी तादाद में पीएसी के जवान तैनात हैं, वहीं आंदोलनकारी किसान धर्मशाला के भीतर डटे हुए हैं। पीएसी की मौजूदगी से आंदोलनकारी भड़के हुए हैं। उनका कहना है कि ताकत के बल पर किसानों की आवाज दबाने की कोशिश हो रही है।

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