कमेटियों के गठन को लेकर शुरू हुई तकरार
|एमसीडी की अभी तक विशेष व एडहॉक कमेटियों का गठन न होने को लेकर एमसीडी नेताओं और विपक्ष के बीच तकरार शुरू हो गई है। विपक्ष का आरोप है कि एमसीडी में अभूतपूर्व संवैधानिक संकट खड़ा हो गया है और इसका कारण आप सरकार व सत्तारूढ़ एमसीडी नेताओं के बीच आपसी राजनैतिक प्रतिद्वंद्विता है। सत्ता पक्ष का कहना है कि वह लगातार सरकार के संपर्क में हैं इसके बावजूद अधिसूचना जारी नहीं की जा रही है। इस मसले पर दोनों पक्षों ने राजनिवास से हस्तक्षेप का अनुरोध किया है।
नॉर्थ एमसीडी में कांग्रेस दल के नेता मुकेश गोयल इस बात से खासे नाराज हैं कि चुनाव के दौरान बीजेपी नेताओं ने दावा किया था कि सत्ता में आने पर दो माह के भीतर एमसीडी की वित्तीय स्थिति सुधार देंगे। इसके अलावा यह भी कहा गया था कि दो महीने के भीतर सभी सड़कों से कूड़ा करकट व मलबा उठाकर इसे एक साफ सुथरा शहर बना दिया जाएगा। लेकिन अफसोस है कि उनके यह वादे केवल चुनावी जुमले बनकर रह गए हैं। उलटे ढाई माह बाद भी स्थायी समिति व अन्य कमेटियों का गठन न होने से एमसीडी का कार्यकलाप पूरे तौर पर ठप है।
उन्होंने कहा कि ये संवैधानिक समितियां हैं जिनकी मंजूरी के बिना निगम के तहत न तो कोई कार्य आवंटित किया जा सकता है और न ही कोई व्यय किया जा सकता है। चुनाव के बाद ढाई महीने तक इन समितियों का गठन न होना एक अभूतपूर्व संवैधानिक संकट है जो दिल्ली नगर निगम के गठन से लेकर अभी तक कभी नहीं हुआ था। गोयल ने आरोप लगाया कि इस संकट का मूल कारण आप सरकार तथा निगमों पर सत्तारूढ़ बीजेपी की आपसी राजनैतिक प्रतिद्वंद्वता है। दोनो पार्टियां एक दूसरे को विफल तथा बदनाम करने उद्देश्य से कार्य में अवरोध उत्पन्न कर रहीं हैं। उन्होंने उपराज्यपाल से हस्तक्षेप का अनुरोध किया है और आंदोलन की भी चेतावनी दी है।
इस मसले पर मेयर प्रीति अग्रवाल ने इस बात पर दुख जताया है कि उपमुख्यमंत्री व शहरी विकास मंत्री से मुलाकात के बाद भी नोटिफिकेशन जारी नहीं किया जा रहा है, जिसके चलते विकास कार्य प्रभावित हो रहे है। उन्होंने कहा कि हम न तो विकास कार्य कर पा रहे हैं और न ही जनहित का कोई काम कर पा रहे हैं। इस बात पर हैरानी है कि सरकार टालमटोल क्यों कर रही है। मेयर के अनुसार इस बाबत जल्द उपराज्यपाल से मुलाकात की जाएगी।
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