कभी सोने की खदान में की थी चौकीदार की नौकरी, फिर बने देश के प्रेसिडेंट
|इंटरनेशनल डेस्क. 1994 में आज ही दिन पहली बार साउथ अफ्रीका को नेल्सन मंडेला के तौर पर अश्वेत राष्ट्रपति मिला था। देश में नस्लभेद के खिलाफ आवाज उठाने वाले मंडेला को यहां तक पहुंचने के लिए अपने परिवार से भी बगावत करनी पड़ी। शाही परिवार में पैदा हुए मंडेला ने सोने की खदान में चौकीदार तक की नौकरी की और करीब 27 साल जेल में भी गुजारे। हर कदम पर किया नस्लभेद का सामना… नेल्सन मंडेला को स्टूडेंट लाइफ में रोज याद दिलाया जाता कि उनका रंग काला है और सिर्फ इसी वजह से वो बाकी स्टूडेंट्स से बराबरी नहीं कर सकते। उन्हें रोज इस बात का एहसास करवाया जाता कि अगर वो सड़क पर सीना तान कर चलेंगे तो इस अपराध के लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ सकता है। ऐसे भेदभाव ने उन्हें अंदर परेशान कर दिया था। उन्होंने फोर्ट हारे यूनिवर्सिटी से अपनी बीए की पढ़ाई शुरू की, जो खासतौर पर अश्वेतों के लिए थी। यहीं पर उनकी मुलाकात ऑलिवर टाम्बो से हुई, जो जीवन भर के लिए उनके दोस्त और सहयोगी बन गए। 1940 तक नेल्सन मंडेला और ऑलिवर टाम्बो ने कॉलेज कैंपस में अपने राजनीतिक विचारों से लोकप्रियता पा ली…