कन्वर्जन चार्ज दो वरना सीलिंग होगी
|कन्वर्जन चार्ज न देने पर सीलिंग की मार झेल रहे दिल्ली के कारोबारियों को सालों पहले इसलिए बख्श दिया गया था, क्योंकि वे इस यह चार्ज देने को राजी हो गए थे। एमसीडी का कहना है कि कारोबारियों को दुकानें बचानी हैं तो उन्हें यह चार्ज अदा करना ही होगा, वरना उनकी दुकानें सील कर दी जाएंगी। एमसीडी शासन ने मानरा कि चार्ज वसूलने में उसे खासी परेशानी आ रही थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग कमिटी ने उसका काम आसान कर दिया है।
एमसीडी के भवन विभाग के एक आला अधिकारी के अनुसार वर्ष 2007 में मास्टर प्लान-2021 में रिहाइशी इलाकों में खुली दुकानों को कारोबार चलाने के लिए कन्वर्जन चार्ज का प्रावधान रखा गया था। वरना इससे पहले यही मॉनिटरिंग कमिटी रोजाना सैकड़ों दुकानों को सील करने का आदेश जारी कर रही थी। अधिकारी के अनुसार उस वक्त कारोबारी संगठनों ने माना था कि नियमों के अनुसार रिहायशी इलाके में कारोबार नहीं चलाया जा सकता, लेकिन डीडीए और सरकार ने कारोबारी इलाके विकसित नहीं किए, इसलिए रिहायशी इलाकों में दुकानें खोलनी पड़ी। उनकी मांग थी कि सरकार कुछ तरीका निकालकर उनकी दुकानों को नियमित कर दे। जिसके बाद कन्वर्जन चार्ज देने का निर्णय हुआ। कारोबारी भी राजी हो गए थे और उन्होंने वर्ष 2012 तक इस मद में एमसीडी को करोड़ों रुपये दिए। बाद में एमसीडी के विभाजन के बाद एमसीडी ने सख्ती करना कम कर दी और कारोबारी भी चार्ज देने से बचने लगे।
एमसीडी सूत्रों के अनुसार ऐसा नहीं है कि कन्वर्जन चार्ज वसूलने के लिए अभियान नहीं चलाया जा रहा। ये चल तो रहा है, लेकिन छोटे स्तर पर। यह अभियान इसलिए भी रोकना पड़ जाता है, क्योंकि जनप्रतिनिधि भी इसका विरोध करने लग जाते हैं। भवन विभाग के सूत्रों के अनुसार मिक्स लैंड यूज के करीब 45 प्रतिशत कारोबारी कन्वर्जन टैक्स अदा कर रहे हैं, लेकिन जो नहीं कर रहे हैं, उन्हें तो सीलिंग का प्रकोप झेलना ही होगा। विभाग खुश है कि जिस कन्वर्जन चार्ज को वसूलने में उसे खासी परेशानी झेलनी पड़ रही थी, उसे मॉनिटरिंग कमिटी ने आसान कर दिया। एमसीडी सूत्रों के अनुसार आगामी दिनों में सीलिंग का एक्शन तेज हो सकता है, इसलिए स्टाफ को अलर्ट किया जा रहा है। इस बात की भी संभावना है कि सीलिंग के लिए कॉन्ट्रेक्ट पर स्टाफ को रखा जाए। बताते हैं कि साल 2006 में जब ऐसा ही एक्शन चला था, तब भी भाड़े पर स्टाफ लिया गया था।
सीलिंग मसले पर मॉनिटरिंग कमिटी के चेयरमैन केजे राव ने सांध्य टाइम्स को बताया कि आज एक उच्चस्तरीय बैठक करने जा रहे हैं, जिसमें तीनों एमसीडी कमिश्नरों को बुलाया गया है। इसमें आगे की रूपरेखा तय की जाएगी। उन्हें बैठक के एजेंडे के बारे में कुछ भी बताने से इनकार किया, लेकिन यह जरूर कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों या मास्टर प्लान के नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ तो एक्शन होगा ही। राव के अनुसार जब कानून में स्पष्ट है कि रिहायशी इलाकों में दुकानें चलाने के लिए कन्वर्जन चार्ज देना होगा तो न देने पर एक्शन बनता ही है।
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