ऑनलाइन फूड ऑर्डर में डिस्काउंट के नाम पर धोखा!
|फूड ऑर्डरिंग स्टार्ट-अप्स के सामने दुविधा यह है कि एक ओर जहां डिस्काउंट्स के आदी हो चुके कस्टमर्स को खोना उनके लिए भारी पड़ेगा, वहीं रेस्ट्रॉन्ट्स से बिल घटाने को कहना भी एक बड़ा जोखिम है। इससे इन स्टार्ट-अप्स के बिजनस मॉडल पर सवाल उठ गया है। दिल्ली बेस्ड किचन मुगलई फूड ने कहा कि रेस्ट्रॉन्ट्स के लिए यही रास्ता बचा है कि वे फूड-टेक ऐप्लिकेशंस पर विजिबल रहने के लिए मोटा डिस्काउंट्स दें क्योंकि यहां से उनके बिजनस का 40-50 पर्सेंट हिस्सा आता है। इस रेस्ट्रॉन्ट्स ओनर ने नाम न छापने के अनुरोध के साथ कहा, ‘डिस्काउंट्स बंद करने पर कुछ ही दिनों में ऑर्डर्स घटकर 25% से नीचे चले जाते हैं।’
बेंगलुरु में बिरयानी में स्पेशियलिटी रखने वाली एक चेन के मालिक ने कहा कि फूड ऑर्डरिंग स्टार्ट-अप्स ने रेस्ट्रॉन्ट से अपनी डिशेज पर करीब 20% छूट देने को कहा है। उन्होंने बताया, ‘हमसे 20% छूट देने को कहा गया है, जबकि वे 10% दे रही हैं।’ प्रति ऑर्डर करीब 12% का कमीशन चार्ज और 10% डिलिवरी चार्ज जोड़ने पर हमारी लागत उस डिश की लिस्टेड प्राइस के लगभग 40% हो जाती है।
ईटी ने पाया कि कुछ रेस्ट्रॉन्ट्स ने ऑनलाइन फूड ऑर्डरिंग एप्स पर अपनी डिश की कीमत 30% तक बढ़ा दी है और फिर उस पर 30% की छूट दी जा रही है। देश की सबसे बड़ी फूड ऑर्डरिंग वेबसाइट फूडपांडा इंडिया के प्लैटफॉर्म पर करीब 12,000 रेस्तरां लिस्टेड हैं। उसने इस बात से इनकार किया कि वह रेस्ट्रॉन्ट्स पर छूट देने का दबाव डाल रही है, लेकिन यह माना कि ‘को-डिस्काउंटिंग तो शुरू से हमारी रणनीति रही है।’
फूडपांडा इंडिया के सीईओ सौरभ कोचर ने कहा, ‘हमारे कॉन्ट्रैक्ट में साफ कहा गया है कि रेस्ट्रॉन्ट्स दूसरे प्लैटफॉर्म्स के मुकाबले फूडपांडा पर ज्यादा कीमत नहीं रख सकते। हालांकि अगर कोई गड़बड़ हो तो सर्विसेज खत्म भी की जा सकती हैं।’ टाइनीआउल ने कहा कि उसके पास भी कीमतें बढ़ाने की हरकत का पता लगाने का सिस्टम है। इसके सीईओ हर्षवर्द्धन मनदाद ने कहा, ‘जो भी रेस्ट्रॉन्ट हमारे साथ जुड़ता है, उसका मेन्यू हमारा स्टाफ चेक करता है और ऐप पर अपलोड करता है। हम रियल-टाइम प्राइस चेक की कोशिश करते हैं।’
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