उमर खालिद के पिता छेड़ेंगे लोकतंत्र की मुहिम

अंबिका पंडित, नई दिल्ली

जेएनयू विवाद में राजद्रोह के आरोपी छात्र उमर खालिद के पिता सय्यद कासिम रसूल इलियास अपने बेटे के खिलाफ सरकार के रवैये से नाराज हैं और उन्होंने बड़े स्तर पर इसका विरोध करने की ठान ली है। इलियास वेल्फेयर पार्टी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष हैं और उनकी पार्टी अगले हफ्ते से देश में हालिया माहौल के खिलाफ एक कैंपेन शुरू करने जा रही है।

कैंपेन देश में फिर से लोकतंत्र स्थापित करने और फांसीवाद खत्म करने की थीम पर आधारित होगा। इसके तहत पार्टी के कार्यकर्ता पूरे देश में रैलियां, बहसें और सेमिनार करेंगे। इसके जरिए पार्टी की मंशा होगी ज्यादा से ज्यादा विश्वविद्यालयों और सेक्युलर पार्टियों का समर्थन प्राप्त करना। उनका मानना है वर्तमान सरकार का रवैया देश की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता को खतरे में डाल रहा है।

अबुल फजल एनक्लेव में पार्टी के ऑफिस में प्रेस कांफ्रेस के दौरान पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पी सी हम्जा ने कहा कि देश में असहिष्णुता और डर का माहौल फैला हुआ है, जो एक तरह से अघोषित आपातकाल की स्थिति है। वेल्फेयर पार्टी की स्थापना 4 साल पहले हुई थी और फिलहाल 10 राज्यों तक इसकी पहुंच है। पार्टी समाज के पिछड़े वर्गों के मुद्दों को उठाती रही है।

9 फरवरी को जेएनयू में लगे राष्ट्र-विरोधी नारों का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि बीजेपी और एबीवीपी का समर्थन करने वाले विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने ही मामले को तूल दिया, वरना इसे आंतरिक तौर पर ही सुलझाया जा सकता था।

उनके हिसाब से यह विश्वविद्यालय का मुद्दा था और केंद्र को किसी भी तरह की कार्रवाई से पहले यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट आने का इंतजार करना चाहिए था। पुलिस के आने से मामला पूरी तरह से बिगड़ गया। पार्टी ने जेएनयूएसयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार, छात्रों और पत्रकारों पर वकीलों द्वारा हमले की भी निंदा की। उनका कहना है कि देश की राजधानी में न्याय के प्रतिमान (कोर्ट) में भी जंगलराज हो गया है।

रोहित वेमुला के मामले का हवाला देकर पार्टी ने सरकार से शिक्षण संस्थानों में छात्रों द्वारा की जा रही आत्महत्या की घटनाओं की तरफ भी ध्यान देने के लिए कहा। उनका मानना है देश में राजनीतिक डर का जो माहौल है, उसके चलते भारत में उच्च शिक्षा के संस्थानों की आजादी खत्म होती जा रही है।

पार्टी ने पकड़े गए जेएनयू के सभी छात्रों की निष्पक्ष सुनवाई, उन पर से राजद्रोह का आरोप हटाकर, उन्हें रिहा किए जाने की मांग भी की। पार्टी ने लोकतांत्रिक ताकतों, सामाजिक संगठनों, दलितों, आदिवासियों और अल्प-संख्यक समूहों से साथ आकर फिर से देश में लोकतांत्रिक माहौल स्थापित करने की गुजारिश की।

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