इस 84 वर्षीय सीए को मिला नीरवगेट को सुलझाने का जिम्मा
|पब्लिक सेक्टर के पंजाब नैशनल बैंक में 14 फरवरी को 11,300 करोड़ रुपये के महाघोटाले की खबर ने देश को हिलाकर रख दिया। घोटाले के सामने आने के कुछ दिनों बाद केंद्रीय रिजर्व बैंक ने 84 साल के सीए येज्दी हिरजी मालेगम की अध्यक्षता में एक कमिटी बनाई। 2016 तक आरबीआई बोर्ड के सदस्य रहे मालेगम ने सबसे लंबे समय तक केंद्रीय बैंक को अपनी सेवाएं दी हैं। मालेगम की अध्यक्षता में बनी कमिटी का काम संभावित फ्रॉड के खतरों को पहचानने के अलावा बैंकों के एनपीए को देखना होगा।
क्यों खास हैं मालेगम?
आरबीआई के पूर्व गवर्नर एम नरसिम्हन ने एक बार कहा था, ‘जब भी देश के सामने कोई बड़ी समस्या आती है तो उसके जवाब में कमिटी बनाई जाती है। आरबीआई इससे अछूता नहीं है, लेकिन यहां थोड़ा अंतर है। जब भी बैंकिंग में कोई बड़ा संकट आता है तो आरबीआई मालेगम की अध्यक्षता में कमिटी बनाता है।’
आरबीआई के लिए मालेगम भले ही ‘ब्योमकेश बख्शी’ रहे हों लेकिन क्या नीरवगेट में वह आरबीआई की उम्मीदों पर खरे उतर पाएंगे?
आरबीआई के रक्षक!
– बैंकर्स का कहना है कि मालेगम आरबीआई में अपने प्रभाव को इंजॉय करते हैं।
– उनके साथ काम कर चुके लोगों के मुताबिक वह बैंक रेग्युलेटर आरबीआई की कार्यप्रणाली में ट्रांसपरेंसी लाने के समर्थक नहीं रहे हैं।
– जब वह रिजर्व बैंक के फाइनैंशल सेक्टर लेजिस्लेटिव रिफॉर्म्स कमिशन के नॉमिनी थे, तब उन्होंने आरबीई के कैपिटल पर कंट्रोल का बचाव करते हुए नोट लिखा था।
– बैंक के सेंट्रल बोर्ड से निकलने के बाद वह भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण लिमिटेड के डायरेक्टर रहे। यह आरबीआई की सब्सिडियरी है और करंसी छापने का करने काम करती है।
उनके कमिटी अध्यक्ष बनने में हितों के ये टकराव भी
– मालेगम कई अन्य ऐसी जिम्मेदारियां भी संभाल रहे हैं, जो हितों के टकराव का मामला बन सकता है।
– वह कई सालों तक रेटिंग एजेंसी CARE के रेटिंग्स कमिटी के हेड रह चुके हैं। यह एजेंसी गीतांजलि जेम्स और नीरव मोदी ग्रुप की फर्म्स की ओर से इशू किए गए कुछ पेपरों की रेटिंग भी कर चुकी है।
– भले ही मालेगम का आर्थिक क्षेत्र में काम करने का लंबा अनुभव है, लेकिन उनके ऐसे कई पदों पर रहना हितों के टकराव का भी मामला है। ऐसे में उन्हें इन सवालों का जवाब देना होगा।
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