इंदिरा को था ‘डर’, नेताजी की अस्थियां लाने का कहीं फॉरवर्ड ब्लॉक न उठा ले फायदा
|नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी गोपनीय फाइलों के जारी होने के बाद लगातार कई ऐसी चीजें निकलकर सामने आ रही हैं जिससे राजनीतिक विवाद बढ़ता जा रहा है। अब इस मामले में एक नई बात जो सामने आई है, वह यह है कि आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी सरकार जानबूझकर कर नेताजी की अस्थियों को वापस नहीं लाना चाहती थीं क्योंकि उन्हें डर था कि इससे राजनीतिक रूप से ‘कमजोर’ पड़े फॉरवर्ड ब्लॉक को ‘मजबूती’ मिल सकती है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इंदिरा गांधी की सरकार नेताजी की अस्थियों को जापान के रांकोजी टेंपल में सुरक्षित रखे जाने के लिए पेमेंट की रकम बढ़ाने को भी तैयार थी।
नेताजी की जारी की गईं फाइलों से पता चलता है कि 1976 के अगस्त में गृह मंत्रालय और इंटेलिजेंस ब्यूरो ने विदेश मंत्रालय को सलाह दी थी कि किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए जापानी अधिकारियों को इस बात के लिए राजी किया जाए कि वे नेताजी की अस्थियों को अपने पास रखें।
विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय के बीच इस बारे में बात तब हुई थी जब टोक्यो स्थित भारतीय दूतावास ने 1976 के जुलाई में रिक्वेस्ट किया था कि रांकोजी टेंपल से नेताजी की अस्थियों को वापस लाया जाए और इसे भारत में रखा जाए।
1976 के अगस्त में आईबी के जॉइंट डायरेक्टर टी वी राजेश्वर ने गृह मंत्रालय को लिखा था, ‘ अगर अस्थियों को वापस लाया जाता है… भारत सरकार देश और पश्चिम बंगाल के लोगों पर एक गलत कहानी थोपने और आपातकाल का फायदा उठाने की आरोपी होगी। और जब भी चुनावों की घोषणा होगी, इसका इस्तेमाल प्रॉपेगैंडा के तौर पर किया जा सकता है।’
आईबी के इनपुट पर 20 अगस्त 1976 को गृह मंत्रालय ने विदेश मंत्रालय को लिखा, ‘अगर अस्थियों को वापस लाया जाता है तो इससे फॉरवर्ड ब्लॉक को मजबूती मिलेगी जो फिलहाल काफी कमजोर ताकत है। इसमें यह भी कहा गया कि जहां अस्थियों को लाकर रखा जाएगा, वहां फॉरवर्ड ब्लॉक की तरफ से प्रदर्शन किया जा सकता है।’
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