आर्थिक सर्वेक्षण 2017: नोटबंदी से अभी मंद पड़ेगी GDP वृद्धि की रफ्तार, लेकिन लंबे वक्त के लिए फायदा
|वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आर्थिक सर्वेक्षण 2017 को लोकसभा के पटल पर रख दिया। इस सर्वे में कहा गया है कि नोटबंदी का वृद्धि दर पर 0.25 से 0.50 प्रतिशत का असर होगा, लेकिन आगे चलकर इससे लाभ होगा। एक बार कैश की सामान्य आपूर्ति बहाल हो जाने पर अर्थव्यवस्था भी सामान्य हालत में लौट आएगी। मुख्य आर्थिक सलाहकार के मुताबिक, एक-दो महीनों में नए नोटों की पर्याप्त आपूर्ति होने लगेगी। नीचे आर्थिक सर्वे का टेबल है। इस पर गौर करने पर स्पष्ट होता है कि नोटबंदी का फिलहाल तो नकारात्मक असर होगा, लेकिन आगे चलकर यह लंबे वक्त के लिए फायदेमंद होगा।
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आर्थिक सर्वे कहता है कि कैश की कमी का असर कृषि पर पड़ा है। कुल मिलाकर, सर्वे में सरकार ने स्वीकार किया है कि नोटबंदी से जीडीपी ग्रोथ की रफ्तार मंद पड़ेगी, लेकिन लगे डिजिटलाइजेशन, टैक्स का दायरा बढ़ाने और प्रॉपर्टी की कीमतों में गिरावट से ज्यादा राजस्व जुटाने में मदद मिलेगी जिससे जीडीपी ग्रोथ की रफ्तार भी तेज होगी।
फायदों की बात की जाए तो नोटबंदी के बाद से डिजिटलाइजेशन की प्रक्रिया तेजी से बढ़ी है। सीईए अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा कि नोटबंदी से कैश की कमी तो हुई, लेकिन डिपॉजिट बढ़ने से बैंक में नोटों की बाढ़ आ गई। उन्होंने कहा कि नोटबंदी का एक लक्ष्य रीयल एस्टेट की कीमतें नीचे लाना भी था। हालांकि, उनका कहना है कि नोटबंदी से पहले और बाद के आधार पर जीडीपी वृद्धि दर का विश्लेषण उचित नहीं होगा। सीईए ने कहा, ‘बैंकों और निजी क्षेत्र की बैलेंसशीट अब भी संकटग्रस्त, ज्यादा फंसा कर्ज बड़ी कंपनियों के पास है।’ उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के सामने तेल कीमतें में बढ़ोतरी और संरक्षणवाद जैसी बाहरी चुनौतियां भी मुंह बाए खड़ी हैं।
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