आर्थिक विकास के लिए CPEC पर निर्भरता, IMF ने पाकिस्तान को चेताया

इस्लामाबाद
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पिछले साल पाकिस्तान के इकनॉमिक आउटलुक को सकारात्मक बताया था। IMF ने कहा था कि पाकिस्तान ने बेलआउट पैकेज को सफलतापूर्वक लागू किया और वह संकट की स्थिति से बाहर आ चुका है। अर्थव्यवस्था में सुधार का एक कारण पाक-चीन आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) में चीन के निवेश को बताया गया था, लेकिन अब IMF ने इस पर अधिक निर्भरता को लेकर चेतावनी भी दे दी है।

IMF की ओर से शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया कि मैक्रोइकनॉमिक स्थिरता से मिला लाभ अब कम होने लगा है और यह इकनॉमिक आउटलुक के लिए गंभीर जोखिम बन सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘पाकिस्तान का इकनॉमिक आउटलुक अनुकूल है। 2016-17 में वास्तविक जीडीपी ग्रोथ 5.3 फीसदी रहा और चीन पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर की बदौलत यह 6 फीसदी की तरफ मजबूत हो रहा है। हालांकि मैक्रोइकनॉमिक स्थिरता से मिला लाभ अब घटने लगा है।’

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ताजा रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान का चालू खाता घाटा बढ़ गया है और पूंजीगत वस्तुओं-एनर्जी के आयात की वजह से घाटा 2016-17 में जीडीपी के 3 फीसदी या 9 अरब डॉलर से अधिक रह सकता है। यह भी कहा गया है कि डॉलर और रुपये की स्थिरता के संदर्भ में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार भी घट गया है। इस्लामाबाद से कहा गया है कि वह विनिमय दर में अधिक लचीलापन लाए।

गौरतलब है कि 182 अरब डॉलर के घरेलू कर्ज से व्याकुल पाकिस्तान ने 2016-17 के लिए 5.7 फीसदी सालाना ग्रोथ रेट का महत्वाकांक्षी टारगेट तय किया था। वर्ल्ड बैंक ने 2018 के लिए 5.4 फीसदी ग्रोथ रेट की संभावना जताई है। पाकिस्तान की उम्मीदें चीन पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर पर टिकी हैं, जिसमें चीन ने 46 अरब डॉलर का निवेश किया है।

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हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि डील काफी अस्पष्ट है और पाकिस्तान पर इसके असर को समझने के लिए अधिक पारदर्शिता की जरूरत है। उदाहरण के रूप में 46 अरब डॉलर निवेश है या लोन।

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