आरकॉम के बैंक लोन पर डिफॉल्ट का डर, बैंकर्स ने बुलाई मीटिंग
|बॉन्ड पेमेंट पर डिफॉल्ट करने के बाद तीन रेटिंग एजेंसियों ने रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) की रेटिंग घटा दी है और कंपनी पर 40,000 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज के नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) बनने की आशंका बढ़ गई है। इस बीच अगले हफ्ते बैंकरों की मीटिंग होने जा रही है। अगर आरकॉम को दिया गया कर्ज एनपीए में बदलता है तो इससे भारतीय बैंकिंग सिस्टम पर प्रेशर बहुत बढ़ जाएगा, जिसकी हालत पहले से ही खराब है। बैंकिंग सिस्टम पहले ही 12 लाख करोड़ रुपये के स्ट्रेस्ड ऐसेट्स की समस्या का सामना कर रहा है। इसमें रिस्ट्रक्चर्ड लोन शामिल है। इस रकम में 7 लाख करोड़ रुपये से अधिक का एनपीए है।
एसबीआई की लीडरशिप में 20 से अधिक बैंकों के ग्रुप ने इस अकाउंट को एनपीए में बदलने से रोकने के लिए ज्वाइंट लेंडर्स फोरम (जेएलएफ) बनाया है, जिसकी अगले हफ्ते मीटिंग हो सकती है। बैंकरों ने कहा कि इसमें इन एकाउंट्स की रिस्ट्रक्चरिंग का सुझाव दिया जा सकता है। एक बैंकर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, ‘बॉन्ड पर डिफॉल्ट करने के बाद आरकॉम के लोन पर डिफॉल्ट करने की आशंका बढ़ गई है। अभी कंपनी के कर्ज को एसएमए-1 या एसएमए-2 कैटेगरी में अलग-अलग बैंकों ने रखा है। इसका मतलब यह है कि इस लोन के एनपीए बनने की आशंका है। इससे बैंकिंग सेक्टर के लिए बड़ा रिस्क पैदा हो सकता है।’
जब प्रिंसिपल और इंटरेस्ट 30 दिनों तक बकाया होता है तो कर्ज को एसएमए-0, 31-60 दिन होने पर एसएमए-1 और 60 दिन से अधिक होने पर एसएमए-2 कैटेगरी में डाला जाता है। वहीं, 90 दिनों तक प्रिंसिपल और इंटरेस्ट बकाया होने पर लोन को एनपीए मान लिया जाता है। जब किसी लोन की किस्त 60 दिनों तक नहीं चुकाई जाती है, तब बैंक उसके लिए जेएलएफ बनाते हैं। एसएमए-2 कैटेगरी में डाले जाने के 30 दिनों के अंदर वे लोन को एनपीए में बदलने से रोकने की कोशिश करते हैं। एक रेटिंग कंपनी के एग्जिक्यूटिव ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर बताया, ‘जहां तक रेटिंग कंपनियों की बात है तो हमारे लिए आरकॉम डिफॉल्टर है क्योंकि उसने बॉन्ड पर ना तो मूल रकम और ना ही ब्याज का भुगतान किया है।’ उन्होंने कहा, ‘बैंक लोन पर कंपनी के डिफॉल्ट की पूरी तस्वीर की हमें जानकारी नहीं है। हालांकि, अगर कोई कंपनी बॉन्ड का बकाया नहीं चुका पा रही है तो वह लोन की किस्त कैसे दे पाएगी।’
ईटी ने सोमवार को खबर दी थी कि आरकॉम करीब दर्जन भर बैंकों को लोन की किस्त नहीं चुका पाई है, जिसके बाद इसके शेयर प्राइस में काफी गिरावट आई है। इस खबर के बाद कंपनी ने मार्च क्वॉर्टर का रिजल्ट पेश किया, जिसमें उसे 966 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। आरकॉम के शेयर बुधवार को 0.25 पर्सेंट की गिरावट के साथ 20 रुपये पर बंद हुए। इससे पहले इंट्राडे में शेयर की कीमत 18.15 रुपये तक पहुंच गई थी, जबकि अप्रैल में इसने 40.75 रुपये का पीक छुआ था।
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