आम आदमी पार्टी में सिर फुटव्वल का दौर जारी
| प्रमुख संवाददाता, नई दिल्ली राजस्थान यूनिट के प्रवक्ता राकेश पारेख का दावा है कि स्टेट कन्वीनर अशोक जैन किसी वजह से पीएसी की मीटिंग में नहीं जा सकते थे। इसलिए उन्होंने उनको मीटिंग में जाने के लिए कहा, लेकिन पंकज गुप्ता ने दबाव डाल कर उनकी बजाय सुनील अगईवाल को मीटिंग में बुलाया ताकि अपने पक्ष में वोट डलवाया जा सके। गुप्ता जानते थे कि अगर राकेश मीटिंग में आए, तो वह योगेंद्र और प्रशांत के खिलाफ वोट नहीं डालेंगे। स्टेट यूनिट ने तय किया था कि प्रशांत और योगेंद्र पर लग रहे आरोपों की आंतरिक लोकपाल एडमिरल रामदास के जरिये जांच करवाई जाए और उसके बाद उन्हें पीएसी में रखने या निकाले जाने के मामले में वोटिंग करवाई जाए। जैन चाहते थे कि पीएसी की मीटिंग किसी और तारीख को रखी जाए, लेकिन दोनों ही प्रस्ताव नहीं माने गए। राकेश ने पीएसी के सदस्यों को भेजे गए एक ई मेल में आरोप लगाया है कि अगर वोट के लिए जोड़-तोड़ नहीं की जाती, तो शायद प्रशांत और योगेंद्र पीएसी से नहीं निकाले जाते, क्योंकि तब उन्हें निकाले जाने के प्रस्ताव के विरोध में 9 और पक्ष में 10 वोट होते। ऐसे में मयंक गांधी, जिन्होंने वोट नहीं डाला, वह वोट डालकर मामले को बराबरी पर ला सकते थे। फिर गेंद मीटिंग को चेयर कर रहे कुमार विश्वास के पाले में जाती,जो मीडिया में दावा कर रहे हैं कि अगर उन्हें वोट डालने के लिए कहा जाता, तो वह प्रस्ताव के विरोध में वोट डालते। राकेश का कहना है कि पार्टी में जो कुछ भी हुआ और हो रहा है, वह पार्टी के निष्ठावान समर्थकों, कार्यकर्ताओं और दानदाताओं के लिए काफी परेशान करने वाला है, जो स्वच्छ राजनीति का साथ देने के लिए इस पार्टी से जुड़े थे, लेकिन अब इसी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में वोटों के लिए जोड़ तोड़ हो रही है। हो सकता है कि अपने पक्ष में वोट डलवाने के लिए पार्टी नेताओं ने किसी को पैसे या अच्छा पद देने का लालच भी दिया हो। आम आदमी पार्टी का पक्ष जानने के लिए पार्टी के जनरल सेक्रटरी पंकज गुप्ता से संपर्क करने की कई बार कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की।
योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को पॉलिटिकल अफेयर्स कमिटी (पीएसी) से निकालने के बाद भी आम आदमी पार्टी में उठा बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है। मुंबई के आप नेता मयंक गांधी के बाद अब आप की राजस्थान यूनिट ने भी दोनों नेताओं को निकाले जाने के तरीकों पर सवाल उठाते हुए सीनियर लीडर्स पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सबसे बड़ा आरोप यह है कि अपने पक्ष में वोट डलवाने के लिए केजरीवाल खेमे के नेताओं ने जोड़-तोड़ का सहारा लिया।
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