आजाद हिंद बैंक की करंसी से बैड लोन चुकाना चाहते हैं कुछ देनदार
| धीरज तिवारी, नई दिल्ली
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने के मोदी सरकार के फैसले से वित्त मंत्रालय के सामने एक अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो रही है। दरअसल बैड लोन के बोझ तले दबे बैंकों के कई देनदारों ने वित्त मंत्रालय से लोन रीपेमेंट आजाद हिंद बैंक की तरफ से जारी करंसी में करने की इजाजत मांगी है। मामले के जानकार दो सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी है। इस बैंक को बोस ने 1944 में बर्मा (अब म्यांमार) में शुरू किया था।
एक सरकारी सूत्र ने कहा, ‘हमसे कुछ लोगों के प्रतिनिधि मिले हैं जो आजाद हिंद की तरफ से जारी करंसी या ऐसी ही मुद्राओं को लीगल करंसी का दर्जा दिए जाने की मांग की है। इनमें से कुछ तो यह भी चाहते हैं कि उनको मौजूदा लोन उन करंसी नोट में चुकाए जाने की इजाजत दी जाए।’
दूसरे आधिकारिक सूत्र के मुताबिक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने कहा था कि उसके पास ऐसी किसी एंटिटी का रेकॉर्ड नहीं है, इसलिए उनकी जारी करंसी को लीगल करंसी का दर्जा नहीं दिया जा सकता। RBI ऐक्ट, 1934 के सेक्शन 22 के मुताबिक, इंडिया में सिर्फ RBI को ही हर अंकित मूल्य के बैंक नोट जारी करने का अधिकार है।
सूत्र ने कहा, ‘हालांकि कुछ पिटीशनर्स ने RBI के स्टैंड को चुनौती दी है। उनका कहना है कि RBI को खुद ब्रिटेन ने शुरू किया था इसलिए इस मामले में फैसला सरकार को लेना चाहिए।’ 1934 में बने RBI में कामकाज अप्रैल 1935 में शुरू हो गया था। जनवरी 1938 में RBI ने अपना पहला करंसी नोट जारी किया था।
1937 में बर्मा इंडियन यूनियन से अलग हो गया था लेकिन RBI पहले जापानियों के कब्जे तक, फिर अप्रैल 1947 तक बर्मा का सेंट्रल बैंक बना रहा था। 1949 में RBI का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया था।
एक बैंक के एक अधिकारी ने कहा कि सरकार की तरफ से बोस की गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक किए जाने के बाद से बॉरोअर्स की तरफ से आजाद हिंद बैंक की करंसी में रीपेमेंट के ऑफर बढ़ने लगे हैं। उन्होंने कहा, ‘आम धारणा यह है कि सरकार इन करंसी नोट को कानूनी वैधता दे सकती है। कुछ नोट धारक को एक लाख रुपये तक देने के वादे के साथ जारी किए गए थे।’
इस साल जनवरी में बोस के 119वीं जन्मदिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने आजाद हिंद फौज के संस्थापक और नेता के परिवार की मौजूदगी में उनसे जुड़ी 100 फाइलों के पहले सेट को सार्वजनिक कर दिया था।
चार पब्लिक सेक्टर बैंकों ने पिछले हफ्ते अपने सालाना फाइनैंशल रिजल्ट जारी किए थे। उनकी बैलेंसशीट पर कुल 1.23 लाख करोड़ रुपये का बैड लोन था। पब्लिक सेक्टर बैंकों का ग्रॉस नॉन परफॉर्मिंग एसेट (NPA) दिसंबर में बढ़कर 7.30 पर्सेंट हो गया जो मार्च 2015 में 5.43 पर्सेंट था।
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