अलग हुए जगिया और बलिया
|बुधवार 6 बजे – दोनों बच्चों को ऐनस्थीसिया दिया गया
सुबह 9 बजे – शुरु हुई सर्जरी
रात 8.45 पर – दोनों बच्चों को अलग कर दिया गया
रात 11.45 पर – पहले बच्चे को आईसीयू में शिफ्ट किया गया
गुरुवार सुबह 2.30 पर – दूसरे बच्चे को आईसीयू लाया गया
प्रमुख संवाददाता, नई दिल्ली
जन्म के ढाई साल बाद सिर से जुड़े जगिया और बलिया अब अलग हो गए हैं। देश में पहली बार सिर से जुड़े बच्चों की सफल सर्जरी की गई है। एम्स के डॉक्टर 16 घंटे की मैराथन सर्जरी के बाद दोनों बच्चों को अलग करने में कामयाब हुए। एम्स के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि सर्जरी सफल हो गई है, लेकिन बच्चे अभी खतरे से बाहर नहीं हैं। पोस्ट सर्जरी काफी दिक्कतें होती हैं, एक को हार्ट में दिक्कत है तो दूसरे को किडनी में। इतनी लंबी सर्जरी के बाद अभी दोनों ऐनस्थीसिया के असर से बाहर आ रहे हैं। सर्जरी के बाद डॉक्टरों और परिवार वालों के साथ-साथ पूरे देश की उम्मीद बढ़ गई है।
डॉक्टर एस. एस. काले ने कहा कि अभी हमने सर्जरी कर पहली सीढ़ी पार की है। अगले 18-20 दिन अहम हैं। जब तक पोस्ट केयर सर्जरी सफल नहीं होती है, तब तक इस सर्जरी का कोई मतलब नहीं है। गुलेरिया ने भी कहा कि न्यूरो सर्जरी अपने आप में जटिल होती है, ऐसे में 16-16 घंटे की सर्जरी के बाद रिकवर करना आसान नहीं होता है। वह भी तब जब दोनों को पहले से कई तरह की दिक्कतें थीं। न्यूरो सर्जरी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉक्टर ए. के. महामात्रा ने बताया कि शुरु में जगिया बेहतर था। लेकिन बलिया में किडनी की दिक्कतें थीं और उसे दौरे पड़ते थे। आपस में जुड़े होने की वजह से बलिया को दी जाने वाली दवा जगिया में जा रही थी। बलिया को दिक्कत थी तो उस पर दवा का सही असर हो रहा था, लेकिन जगिया को किडनी की कोई दिक्कत नहीं थी, इसलिए उसपर इसका बुरा असर होने का खतरा था। अब जगिया को हार्ट की दिक्कत होने लगी है। जबकि शुरू से जगिया का वजन, बलिया की तुलना में अच्छा था। जगिया में इन्फेक्शन नहीं था। हमें लगता था कि जगिया बेहतर है, लेकिन अभी दोनों एक सामान हैं।
सर्जरी के बाद खोपड़ी को ढकने के लिए स्किन की जरूरत थी, इसलिए पहली सर्जरी के बाद प्लास्टिक एंड रीकंस्ट्रक्टिव सर्जन डॉक्टर मनीष सिंघल ने स्किन को बढ़ाने के लिए एक्सपेंडर का इस्तेमाल किया। डॉक्टर मनीष ने बताया कि स्किन बढ़ाई जा चुकी थी लेकिन 16 घंटे की सर्जरी थी, इसे अगर छोड़ दिया जाता तो यह फिर सिकुड़ जाती। इसलिए नई स्किन को स्टोर कर लिया गया। इसके बाद सिर की हड्डी काट कर उसे सेपरेट किया। इसके बाद दोनों बच्चे को पीछे से पलट कर बोन काटी गई और खोपड़ी को अलग करने की सर्जरी शुरू की गई। लगभग सात घंटे की सर्जरी में खोपड़ी को काट कर अलग कर लिया गया। अलग होने के बाद दोनों को अलग-अलग ऑपरेशन टेबल पर लिया गया, जो अब तक एक ही टेबल पर थे। इसके बाद ब्लीडिंग को रोकने का काम किया गया। जैसे ब्लीडिंग कंट्रोल हुई, प्लास्टिक सर्जन की टीम ने स्किन ग्राफ्ट का काम शुरू किया।
वीनस थी चैलेंज: डॉक्टर महापात्रा ने कहा कि वीनस नली दोनों बच्चों में कामन थी। बिना इसे अलग किए सर्जरी संभव नहीं थी। इसलिए पहली सर्जरी जो 29 अगस्त को की गई थी, उसके लिए जापान के एक्सपर्ट को बुलाया गया था। इसमें देश में पहली बार वीनस ग्राफ्ट डाल कर प्रोसीजर पूरा किया।
मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।