अर्थशास्ति्रयांे ने कहा, नोट बंद होने से भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा
|वाली अर्थव्यवस्था मंे भ्रष्टाचार बढ़ता है।
उन्हांेने कहा कि राजनीतिक परिप्रेक्ष्य से बैंक नोटांे को बदलना एक स्मार्ट कदम है। हालांकि, इससे कुछ समय के लिए वाणिज्यिक लेनदेन बंद हो सकता है और अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ सकती है। हालांकि, यह भ्रष्टाचार को गहराई से खत्म नहीं कर सकता।
सोरमन ने पीटीआई भाषा से साक्षात्कार मंे कहा, अत्यधिक नियमन वाली अर्थव्यवस्था मंे भ्रष्टाचार बढ़ता है। भ्रष्टाचार वास्तव मंे लालफीताशाही और अफसरशाही के ईदगिर्द घूमता है। ऐसे मंे भ्रष्टाचार को कम करने के लिए नियमन को कुछ कम किया जाना चाहिए।
उन्हांेने कहा कि प्रधानमंत्री नरंेद्र मोदी का जल्दबाजी मंे संचालन का तरीका कुछ निराशाजनक है। पहले से बताए गए कार्यक्रम के जरिये एक स्पष्ट रास्ता एक अधिक विश्वसनीय तरीका होता। सोरमन ने कई पुस्तकंे लिखी हैं। इनमंे इकनॉमिस्ट डजन्ट लाई : ए डिफेंस ऑफ द फ्री मार्केट इन ए टाइम आफ क्राइसिस भी शामिल है।
जानी मानी अर्थशास्त्री और वित्त मंत्रालय की पूर्व प्रधान आर्थिक सलाहकार इला पटनायक ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा अचानक 500 और 1,000 का नोट बंद करने के फैसले के कई उद्देश्य हैं। इससे निश्चित रूप से वे लोग बुरी तरह प्रभावित हांेगे जिनके पास नकद मंे कालाधन है। भ्रष्ट अधिकारी, राजनेता और कई अन्य सोच रहे हैं कि वे इस स्थिति मंे नकदी से कैसे निपटें।
हालांकि, इसके साथ ही उन्हांेने कहा कि मौजूदा उंचे मूल्य के नोटांे को नए नोटांे से बदला जाएगा। ऐसे मंे यह नहीं कहा जा सकता कि भ्रष्टाचार मंे नकदी का इस्तेमाल बंद हो जाएगा।
पटनायक ने कहा कि इस आशंका कि फिर से नोटांे को बंद किया जा सकता है, भ्रष्टाचार मंे डालर, सोने या हीरे का इस्तेमाल होने लगेगा।
मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।
बिज़नस न्यूज़, व्यापार समाचार भारत, वित्तीय समाचार, News from Business