अरब वर्ल्ड में मोदी अगले महीने में करने जा रहे बेहद अहम डील
|कतर और ईरान गल्फ के साथ अरब वर्ल्ड में रणनीतिक रूप से बेहद अहम देश हैं। ये दोनों देश उर्जा भंडारों से संपन्न हैं। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मई और जून महीने में दोनों देशों की अलग-अलग यात्रा पर जाने वाले हैं। मोदी की यह यात्रा मिडल-ईस्ट में सऊदी अरब और संयुक्त अरब-अमीरात के बाद बेहद अहम मानी जा रही है।
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज एक के बाद एक तेहरान का दौरा कर चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तेहरान की यात्रा तब करेंगे जब ईरान से प्रतिबंध हटाए जा चुके हैं। माना जा रहा है कि पीएम मोदी मई महीने में ईरान के दौरे पर जाएंगे। इकनॉमिक टाइम्स से सूत्रों ने मई महीने में पीएम के ईरान के जाने के संकेत दिए हैं। मई महीने में किस तारीख को जाएंगे इसे अभी फाइनल किया जा रहा है।
ईरान के बाद पीएम मोदी जून महीने की शुरुआत में कतर जाएंगे। कतर में एनर्जी डील के साथ प्रवासियों के मुद्दे पर समझौते होंगे। इसके अलावा क्षेत्रीय चुनौतियां भी दोनों देशों के अजेंडे में होंगी। दोहा स्टेडियम में प्रधानमंत्री भारतीय प्रवासियों को भी संबोधित करेंगे। इससे पहले पीएम दुबई, अमेरिका, कनाडा, यूके, ऑस्ट्रेलिया और चीन में ऐसा कर चुके हैं। कतर में बड़े पैमाने पर भारतीय प्रवासी रहते हैं।
संकेत हैं कि प्रधानमंत्री मोदी कतर की यात्रा पर बिल्कुल अलग से करेंगे। हालांकि अटकलें हैं कि वह वॉशिंगटन के रास्ते भी दोहा पहुंच सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि 4 से 6 जून के बीच पीएम दोहा पहुंच सकते हैं। कतर, गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल का तीसरा देश होगा जहां पीएम मोदी पहुंचने वाले हैं। इससे पहले वह पिछले साल अगस्त में यूएई और फिर इस साल अप्रैल में सऊदी अरब गए थे। इन दोनों यात्राओं के बाद भारत को आतंकवाद विरोधी लड़ाई और निवेश में काफी ठोस फायदा मिला।
मोदी की ईरान यात्रा काफी अहम है। इसे अरब वर्ल्ड में नई दिल्ली की नीति को संतुलन बनाने के तौर पर देखा जा रहा है। पीएम की इस यात्रा से भारत अफगानिस्तान, सेंट्रल एशिया और रूस तक अपने प्रॉजेक्ट से जुड़ी कनेक्टिविटी और एनर्जी पार्टनशिप को कायम करना चाहता है।
मोदी इस यात्रा के दौरान ट्रांसपोर्ट और ट्रांजिट कॉरिडोर्स चाबाहार अग्रीमेंट (दिल्ली-तेहरान-काबुल) को जमीन पर उतारने की कोशिश करेंगे। सेंट्रल एशिया में इंडिया की एंट्री के लिए यह अग्रीमेंट बेहद अहम है। तीनों देशों के बीच इस सामरिक बंदरगाह का प्रस्ताव है। इसके जरिए इंडिया के लिए सेंट्रल एशिया और रूस में बिना पाकिस्तान को ट्रांजिट राइट दिए एंट्री का दरवाजा खुल जाएगा। इसके साथ ही चाबहार में भारत की तरफ से 150 मिलियन डॉलर का कमर्शल प्रस्ताव भी है। इंडिया 20 बिलियन डॉलर का दूसरा निवेश भी चाबहार पोर्ट में करेगा। इसमें एसईजेड भी शामिल है।
भारतीय पीएम की तेहरान यात्रा दोनों देशों के लिए आतंकवाद विरोधी और डिफेंस के क्षेत्र में होने वाले समझौते के मोर्चे पर काफी अहम हैं। दोनों देशों का फोसक पश्चिम एशिया के अलावा अफगानिस्तान में स्थिरता पर भी है। दिल्ली और तेहरान दोनों के लिए यह एक बड़ी चुनौती है। इस यात्रा से उम्मीद की जा रही है कि इंटरनैशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर को गति मिलेगी। इस पर ईरान और रूस के साथ इंडिया ने भी हस्ताक्षर किया था।
ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर पैक्ट के तहत ईरानी रेलवे में भारतीय निवेश की बात है। पीएम मोदी की तेहरान यात्रा का दौरान इस पर भी बात होगी। ऐनर्जी सेक्टर में भारत और ईरान के बीच फरजाद-बी गैस फील्ड में भारत की भागीदारी वाली डील भी फाइनल की जा सकती है। ईरान चाहता है कि भारत अनुकूल और प्रतिकूल दोनों सेक्टरों में निवेश करे। इनमें पेट्रोकेमिकल्स, फर्टिलाइजर्स तेहरान भी शामिल हैं।
कतर के वर्तमान शासक मार्च 2015 में भारत की यात्रा पर आए थे। किंग के रूप में भारत उनकी पहली विदेश यात्रा थी। भारत की कमान मोदी के हाथ में आने के बाद से अरब देश के किसी शासक की भारत यह पहली यात्रा थी। उसी दौरान उन्होंने पीएम मोदी को कतर आने का न्योता दिया था। मोदी की इस यात्रा के बाद कतर के साथ निवेश से जुड़ी कई बड़ी घोषणाएं हो सकती हैं।
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