‘अमेरिका वर्ल्ड पावर नहीं, चीन-रूस का रुख करेगा पाक’
|पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के दूतों ने कहा कि अमेरिका ‘‘अब वर्ल्ड पावर नहीं है’’ और यदि कश्मीर और भारत के संबंध में पाक के विचारों को तवज्जो नहीं दी जाती है तो वह चीन और रूस का रुख करेगा।
कश्मीर मुद्दे पर शरीफ के विशेष दूत मुशाहिद हुसैन सैयद को अमेरिका के शीर्ष थिंक टैंकों में शामिल ‘अटलांटिक काउंसिल’ में चर्चा के समापन के बाद कल यह कहते सुना गया, ‘‘अमेरिका अब वैश्विक शक्ति नहीं है। वह घटती हुई शक्ति है। उसके बारे में भूल जाओ।’’
सैयद के अतिरिक्त कश्मीर मामले पर एक अन्य दूत शाजरा मंसब कश्मीर में मौजूदा हालात और घाटी में कथित मानवाधिकार उल्लंघन की ओर वैश्विक समुदाय का ध्यान आकर्षित करने के पाकिस्तानी प्रयासों के तहत इस समय अमेरिका में हैं।
सैयद ने अमेरिका को यह चेतावनी भी दी कि यदि कश्मीर और भारत के संबंध में पाकिस्तान के विचारों को तवज्जो नहीं दी जाती है तो वह चीन और रूस का रुख करेगा। उन्होंने 90 मिनट की चर्चा के समापन के बाद दर्शकों में से किसी एक सदस्य के प्रश्न का उत्तर देते हुए यह बात कही।
इस चर्चा के दौरान उन्होंने कश्मीर और भारत पर उनके विचारों को प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर निराशा व्यक्त की। हालांकि सैयद की इस टिप्पणी को कैमरे में रेकॉर्ड नहीं किया गया, लेकिन कक्ष के भीतर मौजूद लोगों ने इसे स्पष्ट रूप से सुना।
इसके बाद, सैयद ने तुरंत ही चीन से संबंधों और रूस के साथ विकसित हुए नए संबंधों की ओर इशारा किया, जिसका उन्होंने अटलांटिक काउंसिल में चर्चा के दौरान जिक्र किया था। सैयद ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान के लिए अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि रिचर्ड ओल्सन को कश्मीर में कथित मानवाधिकार उल्लंघन संबंधी एक डोजियर दिया।
पाकिस्तान की कश्मीर नीति को तवज्जो नहीं मिलने के बीच सैयद ने कहा कि चीन अब दक्षिण एशिया में एक महत्वपूर्ण कारक है। उन्होंने पाकिस्तान और रूस के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘मॉस्को और इस्लामाबाद के संबंध लगातार विकसित हो रहे हैं। पुतिन सरकार पाकिस्तान को हथियार बेचने के लिए पहली बार सहमत हुई है और अमेरिका को इस बदलते क्षेत्रीय समीकरण पर ध्यान देना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से, ओबामा प्रशासन में हमारे क्षेत्र के प्रति, अफगानिस्तान के प्रति अमेरिकी विदेश नीति में एक मोड़ आया है।’’ सैयद ने कहा कि पाकिस्तान को लगता है कि अमेरिका को पाकिस्तान, भारत, चीन, अफगानिस्तान समेत इस पूरे क्षेत्र को एक इकाई के रूप में देखना चाहिए क्योंकि ये सभी देश क्षेत्र की स्थिरता और सुरक्षा में योगदान दे सकते हैं।
सैयद ने कहा, ‘‘आप जब काबुल में शांति की बात करते हैं तो आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि कश्मीर जल नहीं रहा हो। अमेरिका का कश्मीर में दीर्घकालीन हित है। वे संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों में एक पक्ष हैं। अमेरिका ने बोस्निया, कोसोवो में और यहां तक कि पीड़ित कुर्द मुसलमानों, पीड़ित लोगों को सहयोग देने में बहुत न्यायिक भूमिका निभाई है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘कश्मीरियों को केवल इसलिए कष्ट नहीं भोगने चाहिए क्योंकि उनके पास तेल नहीं है या कश्मीर यूरोप का हिस्सा नहीं है या कश्मीरी एक निश्चित धार्मिक संप्रदाय से संबंध रखते हैं, क्योंकि इन मामलों पर हम दोहरे मापदंड नहीं अपना सकते।’’ उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता की भी अपील की।
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