अमेरिका की तर्ज पर बैड लोन से निपटेगा रिजर्व बैंक?

मुंबई
भारतीय रिजर्व बैंक के डेप्युटी गवर्नर विरल आचार्य ने अमेरिका की तर्ज पर बैड लोन्स की सेल के लिए ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लैटफार्म तैयार करने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और अधिक कीमत मिल सकेगी। डेप्युटी गवर्नर विरल आचार्य ने कहा कि इससे बैड लोन्स को बेचने के लिए मार्केट तैयार करने में मदद मिलेगी। आचार्य ने कहा कि घरेलू बैंकिंग व्यवस्था को इससे करारा झटका लगा है। उन्होंने कहा कि इसके लिए सभी पक्षों को एक मेकेनिज्म स्थापित करने के लिए आगे आना चाहिए।

सितंबर, 2017 तिमाही के आंकड़ों के मुताबिक बैंकिंग सिस्टम में 10 खरब डॉलर की रकम बैड लोन में फंसी है, जो बैंकिंग सिस्टम की कुल रकम का 10.2 पर्सेंट है। पिछले साल जून में ही आरबीआई ने ऐसे 40 सबसे बड़े बैड लोन अकाउंट्स की पहचान की थी और बैंकों से कहा था कि इन मामलों को वे ट्राइब्यूनल के पास भेजें।

इन 40 खातों में एस्सार स्टील, भूषण स्टील, भूषण पावर, ऐमटेक ऑटो, विडियोकॉन इंडस्ट्रीज और जेपी इंफ्रा समेत कई कंपनियां शामिल थीं। इन 40 लोगों पर ही बैड लोन का 40 फीसदी हिस्सा फंसा हुआ है। हाल ही में केंद्रीय बैंक की ओर से जारी की गई फाइनैंशल स्टैबिलिटी रिपोर्ट के मुताबिक बैड लोन का आंकड़ा मार्च, 2018 तक 10.8 पर्सेंट और सितंबर में 11.1 फीसदी के खतरनाक स्तर तक पहुंच सकता है।

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