अभी नहीं खुलेगी सील प्रॉपर्टी

रामेश्वर दयाल, नई दिल्ली

मास्टर प्लान-2021 में संशोधन का नोटिफिकेशन जारी होने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग कमिटी राजधानी में सील की गई प्रॉपर्टी को डी-सील करने का कोई आदेश जारी नहीं करने जा रही है। उसका कहना है कि मामला सुप्रीम कोर्ट में हैं। कोर्ट इस बात की सुनवाई कर रहा है कि मास्टर प्लान में संशोधन का असर आम लोगों (रिहायशी) पर कितना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई 11 जुलाई को होने वाली है। राजधानी में आठ हजार से अधिक प्रॉपर्टी सील हुई पड़ी हैं।

डीडीए ने लंबी सुनवाई के बाद मास्टर प्लान-2021 में संशोधन किया था, जिसे गत 21 जून को केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने नोटिफाई भी कर दिया। इस नोटिफिकेशन कमर्शल रोड में बनी दुकानो को लेकर तो राहत थी, साथ ही यह भी कहा जाने लगा कि जो भी प्रॉपर्टी पिछले छह माह के दौरान सील की गई है, उसे अब खोल दिया जाएगा। इस मसले को लेकर तो एमसीडी ने तैयारी भी शुरू कर दी और लोगों से ऑनलाइन कन्वर्जन टैक्स लेने के लिए भी सिस्टम को अपडेट करना शुरू कर दिया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की मॉनिटरिंग कमिटी ने इस पर विराम लगा दिया है। उसका कहना है कि नोटिफिकेशन के आदेश के बावजूद वह सील की गई प्रॉपर्टी को डी-सील करने का आदेश जारी नहीं करने जा रही है।

मॉनिटरिंग कमिटी के एक सदस्य के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही सीलिंग की बाबत कोई निर्णय लिया जा सकेगा। उनका कहना है कि असल में सुप्रीम कोर्ट ने आरडब्ल्यूए ने भी याचिका दायर कर रखी है कि इस बात का ध्यान रखा जाए कि मास्टर प्लान में संशोधन के चलते दिल्ली के आम निवासियों को परेशानी नहीं होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में यह मसला 11 जुलाई को आएगा, जहां पर इस बात की सुनवाई होगी कि मास्टर प्लान में संशोधन कितना उचित है और उसके चलते रिहायशी आबादी को परेशानी तो नहीं होनी जा रही है।

इस मसले पर नॉर्थ दिल्ली रेजिडेंट्स वेलफेयर फेडरेशन का कहना है कि रिहायशी इलाकों का चरित्र भी बरकरार रहना जरूरी है, ताकि लोग सुकून से रह सकें। फेडरेशन के अध्यक्ष अशोक भसीन के अनुसार मास्टर प्लान के संशोधन को लेकर चली सुनवाई के दौरान हमारी आरडब्ल्यूए के कुछ मांगे मान ली गई थी, लेकिन कुछ पर ध्यान नहीं दिया गया। जिसके बाद आरडब्ल्यूए ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया। भसीन के अनुसार आरडब्ल्यूए चाहती हैं कि रिहायशी कॉलोनियों को बाजार या कमर्शल बनने से रोका जाए। गौरतलब है कि दिसंबर माह से राजधानी में सीलिंग अभियान शुरू किया गया था। निगमों के अनुसार इस दौरान आठ हजार से अधिक प्रॉपर्टी सील की जा चुकी हैं।

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