अपने इलाकों में फिलहाल ‘बेरोजगार’ हैं निगम पार्षद
|राजधानी की तीनों नगर निगमों के पार्षद आजकल खासे बेबस, परेशान और ‘बेरोजगार’ हैं। पार्षद बने उन्हें अब तीन महीने होने को आ रहे हैं। इसके बावजूद वे अपने इलाके में कोई काम नहीं करवा पा रहे हैं। उसका कारण यह है कि निगमों में जोनल कमेटियों का गठन नहीं हो पा रहा है, जिसके चलते पार्षद न तो अपने इलाकों में कोई काम करवा पा रहे हैं और न ही लोगों को उनकी समस्याओं का समाधान कर पा रहे हैं। खाली बैठे हुए हैं अपने इलाकों में पार्षद।
तीनों एमसीडी का गठन 26 अप्रैल को हुआ था। उसके बाद एक माह तक तो पार्षद अपने इलाकों में स्वागत और धन्यवाद कार्यक्रमों में ही लगे रहे। अब ये कार्यक्रम भी खत्म हो चुके हैं और जनता ने अपनी समस्याओं को लेकर उनके पास आना शुरू कर दिया है। पार्षदों तक जो समस्याएं आ रही हैं, उनमें इलाकों में कूड़े के ढेर, सफाई कर्मियों की कमी, स्ट्रीट लाइटों की परेशानी, नालियों में गंदा पानी और पेड़ों की कटाई आदि शामिल है। इन समस्याओं का निवारण बहुत छोटा है, लेकिन समस्या यह है कि तीनों निगमों के सभी जोन में जोनल कमेटियों का गठन नहीं हुआ है, इसलिए न तो वहां ये समस्याएं उठा पा रही हैं और न ही उनका निवारण हो पा रहा है।
असल में जोनल कमेटियां वैधानिक होती हैं। इसकी मीटिंग हर शुक्रवार को होती हैं। इसका अध्यक्ष पार्षद होता है और जोन के सभी अधिकारी उसके मातहत होते हैं। लेकिन दिल्ली सरकार द्वारा एक औपचारिक नोटिफिकेशन जारी न होने के चलते इन कमेटियों का गठन नहीं हो पा रहा है, जिस कारण इलाकों में न कोई काम हो पा रहा है, पुराने प्रोजेक्ट आगे बढ़ पा रहे हैं और न ही नए काम शुरू हो पा रहे हैं। नॉर्थ एमसीडी पार्षद तिलकराज कटारिया के अनुसार कमेटियों का गठन न होने के चलते वह इलाके के अफसरों से मिल नहीं पा रहे हैं। अफसरों को फोन मिलाओ तो उनका कहना होता है कि वे बड़े साहब के साथ मीटिंग में हैं। साउथ एमसीडी पार्षद भूपेंद्र गुप्ता के अनुसार समस्या यह है कि अधिकारी कह देते हैं कि जब तक जोनल कमिटी कोई आदेश पारित नहीं करेगी तब तक वे कोई काम करने में असमर्थ हैं। पार्षदों के अनुसार उन्होंने अपनी मेयरों को कहा है कि जोनल कमेटियों का गठन जल्द करवाओ, लेकिन उनका कहना है कि सरकार से नोटिफिकेशन आने के बाद ही इनका गठन हो पाएगा। इसलिए फिलहाल वे ‘बेरोजगार’ हैं।
मोबाइल ऐप डाउनलोड करें और रहें हर खबर से अपडेट।