अधिकारियों की पोस्टिंग का मामला, सर्विस डिपार्टमेंट कर सकता है दिल्ली सरकार के फैसले का विरोध
|सुप्रीम कोर्ट के बुधवार को आए फैसले के बाद, केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच अधिकारियों के तबादले को लेकर टकराव बढ़ सकता है। खबरें हैं कि दिल्ली सरकार अधिकारियों का तबादला करने की तैयारी कर रही है। एक सीनियर ब्यूरोक्रेट्स ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि सर्विसेज डिपार्टमेंट मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों के निर्देश पर किए गए इंटरनल ट्रांसफर और पोस्टिंग का विरोध कर सकते हैं।
उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की तरफ से निर्देश आया है, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा, ‘चुनी हुई सरकार के पास लैंड, पब्लिक ऑर्डर और पुलिस को छोड़कर सभी मामलों में फैसला लेने की शक्ति है, जिसमें सर्विसेज भी शामिल है।’ जहां दिल्ली में या दिल्ली से बाहर नियुक्तियों और ट्रांसफर का विशेषाधिकार गृह मंत्रालय के पास बना रहेगा, वहीं दिल्ली सरकार ने फैसले की व्याख्या इस तरह कर रही है कि सभी डिपार्टमेंट्स में दिल्ली सरकार अपने विवेक के आधार पर ट्रांसफर का फैसला ले सकती है।
सर्विसेज डिपार्टमेंट का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने गृह मंत्रालय के मई 2015 में जारी किए गए नोटिफिकेशन को रद्द नहीं किया गया है। अभी रेग्युलर बेंच में मामले की सुनवाई होगी। सीनियर ब्यूरोक्रेट्स का मानना है कि जब तक इस मामल की सुनवाई नहीं होती है तब तक सर्विसेज के सभी अधिकार एलजी के दायरे में होंगे।
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उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आदेश दिया कि काम का आवंटन, जिसमें डिपार्टमेंट के प्रमुख आईएएस ऑफिसरों और कई अन्य स्तर के अधिकारियों के ट्रांसफर मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों द्वारा किए जाएंगे। 4 अगस्त को हाई कोर्ट के फैसले के बाद ट्रांसफर और पोस्टिंग का ताकत एक चुनी हुई सरकार से दो साल पहले छीन ली गई थी। सिसोदिया ने प्रेस से बात करते हुए कहा, ‘विभागों में पोस्टिंग और ट्रांसफर सहित सेवाओं से संबंधित सभी शक्तियों को एलजी और अन्य अधिकारियों के साथ निहित किया गया था। सर्विसेज का मंत्री होने के नाते इस सिस्टम को तुरंत प्रभाव से बदलने का आदेश मैंने दिया है।’
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उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री आईएएस, DANICS (दिल्ली अंडमान ऐंड निकोबार आइसलैंड सिविल सर्विसेज), ऑल इंडिया सर्विसेज, सेंट्रल सिविल सर्विसेज और प्रविंशियल सिविल सर्विसेज के समकक्ष अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग को अप्रूव करने का अधिकार मुख्यमंत्री के पास होगा। अब तक यह अधिकार एलजी के पास होता था। सिसोदिया ने कहा, ‘ग्रेड 1 और 2 के अधिकारी, प्राइवेट सेक्रेटरी और प्रिंसिपल प्राइवेट सेक्रेटरी के ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार उप मुख्यमंत्री के पास और ग्रेड 3 और 4 के कर्मचारियों के ट्रांसफर का अधिकार मिनिस्टर ऑफ इंचार्ज के पास होगा।’ यह अधिकार अभी तक चीफ सेक्रेटरी के पास था।
वहीं सर्विसेज डिपार्टमेंट ने सरकार को सूचित किया है कि हाईकोर्ट ने अगस्त 2016 में सर्विसेज का अधिकार एलजी को सौंपा था। साथ ही वहीं गृह मंत्रालय ने भी 21 मई 2015 को नोटिफिकेशन जारी किया था। नोटिफिकेशन के तहत एलजी के जूरिडिक्शन के तहत सर्विस मैटर, पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और लैंड से संबंधित मामलों को रखा गया है। इसमें ब्यूरोक्रेट्स के सर्विस से संबंधित मामले भी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के नोटिफिकेशन और हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है या पलट दिया है, इस संबंध में उनके पास कोई नोटिफिकेशन नहीं आया है। आंतरिक हस्तांतरण और पोस्टिंग पर सरकार का आदेश कानून के विपरीत है, और इसे लागू नहीं किया जा सकता है। हालांकि एलजी हाउस ने इस आम आदमी पार्टी के फैसले पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ मीटिंग की और आगे के मामलों पर चर्चा की। उन्होंने अधिकारियों को सीसीटीवी, राशन की डिलीवरी के मामले में तेजी लाने का निर्देश दिया। सिसोदिया ने कहा, ‘एलजी ने इन प्रॉजेक्ट्स को लटका रखा था।’
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