व्यापारी नेता के खातों की जांच शुरू
|वैट डिपार्टमेंट की टीम ने व्यापारी नेता और कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल की फर्म के खातों की जांच शुरू की है। डिपार्टमेंट की टीम बीते शनिवार को उनकी करोल बाग स्थित फर्म पहुंची और वहां पर बहुत से कागजात कब्जे में लिए। डिपार्टमेंट सूत्रों के मुताबिक छानबीन में टैक्स चोरी का मामला सामने आया है और वैट डिपार्टमेंट अब इन कागजातों के आधार पर असेसमेंट कर रहा है। बीजेपी के टिकट पर 2008 में विधानसभा का चुनाव लड़ चुके व्यापारी नेता प्रवीण खंडेलवाल की करोल बाग में फर्म है। दिल्ली सरकार के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि वैट डिपार्टमेंट की छानबीन में टैक्स चोरी का मामला सामने आया है। इसमें दो तरह से गड़बड़ी सामने आई है। बताया जा रहा है कि उनकी फर्म का हर साल का टर्नओवर करीब तीन करोड़ है और कई सालों से वैट डिपार्टमेंट को टैक्स नहीं दिया जा रहा है। दूसरा मुद्दा काफी अहम है और टी फॉर्म से जुड़ा है। इस फॉर्म के जरिए टैक्स का हिसाब-किताब होता है। आरोप है कि टी फॉर्म को लेकर भी फर्जीवाड़ा किया गया है, ताकि टैक्स बचाया जा सका। कागजों में दिखाया गया है कि सामान बाहर भेजा जाता है क्योंकि बाहर भेजने पर 2 पर्सेंट का टैक्स लगता है और दिल्ली में सामान बेचने पर 12 पर्सेंट टैक्स देना पड़ता है। आरोप है कि कागजों में तो दिखाया गया है कि सामान बाहर भेजा जाता है, जबकि वास्तव में सामान दिल्ली में ही बेचा जा रहा था और इस तरह से बड़ी टैक्स चोरी सामने आई है। टैक्स नहीं दिया जा रहा है, जबकि करोड़ों का टर्नओवर है। अधिकारी का कहना है कि वैट डिपार्टमेंट दोनों मसलों पर असेसमेंट कर रहा है और आगे की जांच की जा रही है। क्या कहना है प्रवीण खंडेलवाल का : प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि बीते शनिवार को वैट डिपार्टमेंट का सर्वे हुआ था। टैक्स चोरी के आरोपों को निराधार बताते हुए उन्होंने कहा कि हमारी लोकल परचेज होती है, जिस पर 12.5 पर्सेंट टैक्स देते हैं और सेंट्रल सेल होती है, जिस पर 2 पर्सेंट टैक्स देते हैं। उन्होंने कहा कि हमारा तो रिफंड बनता है और ऐसे में टैक्स चोरी का सवाल नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया कि वैट डिपार्टमेंट ने शनिवार को तो सर्वे किया है और एक ही दिन में कैसे निष्कर्ष जारी कर दिया। जो डॉक्युमेंट लेकर गए हैं, उनको एक ही दिन में कैसे वेरिफाई कर लिया। उनका कहना है कि परचेज और सेल के सारे बिल मौजूद हैं और डिपार्टमेंट को पूरी प्रक्रिया को फॉलो करते हुए असेसमेंट करना होगा और उसके बाद ही कोई निष्कर्ष निकाला जाए। जब असेसमेंट पूरा होगा तो सारी चीजें सामने आ जाएंगी।
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