TOISA जैसे कार्यक्रम खिलाड़ियों की साल भर की मेहनत के जश्न मनाने का मंच हैं: स्टीफन एडबर्ग

स्वीडिश टेनिस दिग्गज स्टीफन एडबर्ग को उनकी शानदार वॉली और सर्व के लिए जाना जाता था। 2014 और 2015 में वह रोजर फेडरर के कोच रहे। इस दौरान उन्हें इस स्विस दिग्गज के खेल को नए आयाम तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। सोशल मीडिया के इस दौर में भी वह उन चंद खिलाड़ियों में हैं, जो इससे दूर हैं। उन्होंने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ खास चर्चा की। एडबर्ग इन दिनों TOISA अवॉर्ड के तीसरे चरण में बतौर मेन्टॉर भारत दौरे पर आए हुए हैं। यहां पेश हैं उनसे बातचीत के खास अंश…

1985 में बेंगलौर में डेविस कप खेलने के बाद यह आपका पहला भारत दौरा है। इस बार भारत आकर कैसा महसूस कर रहे हैं आप?
बहुत अच्छा महसूस हो रहा है। इतने समय में भारत में बहुत कुछ बदल गया है। भारत आने के लिए यह शानदार समय है। मैं यहां अपनी पत्नी के साथ घूमना पसंद करूंगा। अब बच्चे बड़े गए हैं, तो हमारे घूमने के लिए कुछ समय है।

खिलाड़ियों के लिए TOISA (टाइम्स ऑफ इंडिया स्पोर्ट्स अवॉर्ड) जैसे अवॉर्ड का क्या महत्व है?
आज दुनिया भर में कई स्पोर्ट्स अवॉर्ड प्रचलित हैं। हमारे पास स्वीडन में भी एक अवॉर्ड है। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि अवॉर्ड्स हमेशा टीवी पर प्रसारित होते हैं। इससे ऐथलीट्स को अपने साल भर की मेहनत को सेलिब्रेट करने का मौका मिलता है। खिलाड़ियों को नोटिस में लाने के लिए यह एक सकारात्मक कदम है। अवॉर्ड खिलाड़ियों को लगातार कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करते हैं।

जब आप टेनिस खेलते थे तब काफी कड़ी प्रतिस्पर्धा थी। आपके दौर में बोरिस बेकर, पीट सैंप्रास, आंद्रे अगासी, माइकल स्टिच, जॉन मैकएनरो और जिम कूरियर…. बेकर ने हाल ही में कहा था, 1984 में फेडरर लकड़ी के रैकेट से कभी भी मैकएनरो को नहीं हरा सकते थे?
आप ऐसा सोच सकते हैं। लेकिन अगर सभी महान खिलाड़ी एक ही दौर में खेलेंगे, तो परिस्थितियां भी अलग ही होंगी। आज खेल बहुत तेज है। आज खेल में कई कैरेक्टर हैं। 1970 के दौर में आपके मेरे सबसे फेवरिट खिलाड़ी जोर्न बोर्ग थे। इसके साथ ही आपके सामने जिमी कोनोर्स और मैकएनरो थे। उन्होंने टेनिस को नक्शे पर रखा। और इसके बाद हम भाग्यशाली रहे कि उनके पीछे-पीछे 1980 के दौर में मेरे जैसे खिलाड़ी और बेकर और सैंप्रास और अगासी आए। 1980 के दौर में टेनिस का बोलबाला छा रहा था। उस दौर में हर देश की अर्थव्यवस्था बढ़ रही थी और हर चीज ऊपर उठ रही थी।
क्या इससे कुछ फायदा होता है कि आपके दौर में बोरिस बेकर बहुत बड़े स्टार थे, और सारी लाइमलाइट उन पर ही फोकस रहती थी?
हमारी प्रतिद्वंद्विता एक स्वस्थ प्रतिद्वंद्विता थी क्योंकि हम दोनों ने बतौर जूनियर खिलाड़ी अपने करियर की एकसाथ शुरुआत की थी। हम करीब-करीब एक ही उम्र के थे- मैं थोड़ा सा बड़ा हूं। 1983 में हमने विंबल्डन में एक साथ जूनियर स्तर पर खेला है। कई लोगों को यह याद भी नहीं होगा और 2 साल बाद बोरिस ने वहां मैन्स सिंगल का खिताब जीता था।

आपने यूएस ओपन में रमेश कृष्णन के खिलाफ एक महत्वपूर्ण मैच भी खेला था, जो 5 सेट्स तक चला था। आपके दौर में बेस्ट भारतीय खिलाड़ी कौन था?
शायद उस दौर में रमेश ही बेस्ट था। रमेश उस दौर में बेहद प्रतिभावान खिलाड़ी था। शायद वह उतना फिट नहीं था (हंसते हुए), लेकिन जिस ढंग से वह बॉल पर प्रहार करता था और अपने हाथों का इस्तेमाल करता था वह शानदार था। मैं जब भी नेट पर आता था, वह मेरे सामने चलाकी से पासिंग शॉट खेलता था। मैंने शायद 1980 में विजय (अमृतराज) के भी खिलाफ खेला है और रमेश के खिलाफ करीब दो बार खेला है। जिस दौर में मैं खेलता था, वह उस दौर के शानदार खिलाड़ियों में से एक था।

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