#PeshawarAttack: इनके नाम पर है यूनिवर्सिटी, बापू के साथ किया आंदोलन

नई दिल्ली. भारत की आजादी में खान अब्दुल गफ्फार खान के रोल को भुलाया नहीं जा सकता है। उन्होंने महात्मा गांधी के साथ मिलकर अहिंसा आंदोलन की शुरुआत की। अपने जीवन के 42 साल ब्रिटिश राज और फिर पाकिस्तान की जेलों में गुजारे थे। आज उनकी 28वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही थी, तभी पेशावर के पास खैबर पख्तूनवा रीजन में आतंकियों ने बाचा खान यूनिवर्सिटी में कत्लेआम मचा दिया।     कौन थे बाचा खान उर्फ सीमांत गांधी…   – 20 जनवरी, 1988 के दिन खान अब्दुल गफ्फार खान का निधन हो गया था। इसके एक साल पहले उन्हें भारत रत्न दिया गया।   – खान अब्दुल गफ्फार खान ने अपने जीवन के पूरे 42 साल ब्रिटिश राज और फिर पाकिस्तान की जेलों में गुजार दिए। – जेल में उन्हें भारी यातनाएं झेलनी पड़ीं, सरहदी सूबे की जेलों में तो अक्सर उनके पैरों में लोहे की बेड़ियां बंधी होती थीं।  – उन्हें बादशाह खां और सीमांत गांधी जैसी उपाधियों से नवाजा गया। पाकिस्तान में वह बाचा खान के नाम से मशहूर हैं। – वह कुछ समय तक ब्रिटिश आर्मी में भी रहे, लेकिन भारतीय सैनिकों के साथ बदसलूकी के चलते नौकरी छोड़ दी।   -…

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