MCD चुनाव: दिल्ली में बीजेपी ने लगाया ‘गुजरात फॉर्म्युला’

नई दिल्ली/अहमदाबाद
गुजरात निकाय चुनावों में बीजेपी का 12 वर्षों का सफल प्रयोग दिल्ली के पार्षदों को भारी पड़ने जा रहा है। इन पार्षदों का टिकट सत्ता विरोधी लहर से लड़ने के नाम पर 22 अप्रैल को होने वाले चुनावों से कट सकता है। पार्टी सूत्रों के अनुसार पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह, दिल्ली में आम आदमी पार्टी की चुनौती से निपटने के लिए नए चेहरों को तवज्जो देने के पक्षधर हैं।

गुजरात में सीएम रहने के दौरान मोदी ने यही नीति अपनाई थी, जो सफल साबित हुई थी। 2005 में हुए सूरत नगर निगम चुनावों में मोदी ने ‘नो रिपीट’ का मंत्र आजमाया जिससे 114 सीटों वाले निगम में बीजेपी के कब्जे वाली सीटें 59 से बढ़कर 102 तक हो गई। यही रणनीति भावनगर, जामनगर और वडोदरा में भी दोहराई गई, जहां पार्टी को शानदार सफलता हासिल हुई।

हालांकि इस रणनीति का मकसद, पार्टी में विरोधी गुट के लोगों को दरकिनार कर मोदी के वफादारों की नई फौज तैयार करना था। मोदी ने विधानसभा चुनावों में भी यही मंत्र अपनाया। केशुभाई पटेल और काशीराम राणा जैसे कद्दावर नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया।

सूरत शहर के तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष प्रवीण नाइक ने कहा, ‘नए चेहरों को आगे लाने का यह सफल प्रयोग था। हटाए गए लोगों में से कुछ तो ऐसे थे जो 4-5 बार से लगातार जीतते आ रहे थे। हमें लगा कि सत्ता विरोधी लहर से पार्टी को नुकसान होगा। इसलिए यह नीति अपनाई गई।’ पूर्व मेयर अजय चोकशी, डिप्टी मेयर शंकर चेवली, स्टैंडिंग कमिटी के चेयरमैन नरेंद्र गांधी को भी इस ‘प्रयोग’ का शिकार होना पड़ा।

वडोदरा नगर निगम में तो एक भी पूर्व प्रत्याशी को टिकट नहीं मिला और बीजेपी ने अप्रत्याशित सफलता हासिल करते हुए 84 में से 76 सीटें जीत ली थीं। इन सभी शहरों में मोदी ने खुद भी बहुत मेहनत की। उन्होंने अथक कैम्पेन किया।

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