AK का समझोता, लचीला रुख अपनाएगा राजनिवास?

नई दिल्ली
प्रशासनिक झमेलों से बचने, शासन को स्मूद चलाने और दिल्ली की जनता को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अब राजनिवास के साथ समझौते पर उतर आए हैं। उन्होंने उपराज्यपाल अनिल बैजल से अपने कार्यक्षेत्र व अधिकारों की जानकारी मांगी है, ताकि दोनों के बीच कोई विवाद न रहे, लेकिन उपराज्यपाल (पूर्व नौकरशाह) के कामकाज का जो तरीका है, उससे लगता है कि वह सरकार को शायद ही कोई रियायत दें। उपराज्यपाल दिल्ली के शासन को उन्हीं अधिकारों के बूते चलाएंगे, जो उन्हें संविधान द्वारा दिए गए हैं।

दिल्ली सरकार और मुख्यमंत्री केजरीवाल को लगातार कई मोर्चों पर जूझना पड़ रहा है। अधिकारी कहा नहीं मान रहे हैं, सहयोगी बगावत पर उतर आए हैं तो कोर्ट भी जब-तब हड़का रहा है। सरकार के साथ सबसे बड़ी परेशानी यह है कि अधिकतर अधिकारी राजनिवास का ही कहा मान रहे हैं और मंत्रियों के आदेशों की कोई परवाह नहीं कर रहे हैं। इन सब के चलते सरकार कुछ नहीं कर पा रही है। सिस्टम को स्मूद करने और जवाबदेह शासन देने के लिए अब सीएम की ओर से पहल की गई है। उन्होंने उपराज्यपाल से मुलाकात की है, साथ ही उन्हें पत्र भी लिखा है कि उन्हें (सीएम को) अपने कार्यक्षेत्र व अधिकारों की जानकारी दी जाए।
सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री को राजनिवास से सुलहनामा इसलिए करना पड़ रहा है, क्योंकि वह जान चुके हैं कि प्रचंड बहुमत के बावजूद दिल्ली सरकार के पास सीमित अधिकार हैं।

अधिकारों की लड़ाई को लेकर सीएम व उनके मंत्रियों ने राजनिवास के खिलाफ लगातार मोर्चा खोला और झगड़े को निचले स्तर तक ले आए, लेकिन कोर्ट ने बता दिया कि सरकार को राजनिवास के अधीन ही काम करना होगा। रही सही कसर शुंगलू कमिटी ने निकाल ली, जिसकी रिपोर्ट ने बताया कि सरकार ने शासन चलाने के लिए कई गंभीर गलतियां कीं, अफसरों को धमकाया और नियमों के खिलाफ काम किया। इन सभी ‘गड़बड़ियों’ ने सीएम को समझौते के लिए मजबूर कर दिया है।

पूर्व नौकरशाह और अब दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल का कामकाज देखने वाले अफसरों का कहना है कि कोई कितना ही समझौता करे, एलजी अपने हिसाब से ही काम करेंगे। उनके साथ काम कर चुके एक आला अधिकारी के अनुसार, उपराज्यपाल नियमों से ही चलेंगे और नियम विरुद्ध वह कोई काम नहीं करेंगे। उनका यह भी कहना है कि दिल्ली सरकार ने जिस तरह लगातार राजनिवास की आलोचना की है, उसको देखते हुए उपराज्यपाल सरकार को शायद ही कोई राहत दें। जिस तरह के हालात बन रहे हैं, उन्हें देखते हुए इस बात की पूरी संभावना है कि उपराज्यपाल शायद ही सरकार को लेकर कोई लचीला रुख अपनाएं।

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