2011 में जेल तोड़ने पर मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति मोरसी को सजा-ए-मौत

काहिरा। मिस्र की एक अदालत ने 2011 में बड़े पैमाने पर जेल तोड़ने के आरोप में पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद मोरसी को मौत की सजा सुनाई है। गौरतलब है कि सत्ता में रहने के दौरान प्रदर्शनकारियों की गिरफ्तारी और उन्हें यातना देने के आदेश के लिए मोरसी को पहले ही 20 साल की सजा सुनाई गई है। बता दें कि 2013 के जुलाई महीने में मोरसी शासन के खिलाफ सड़कों पर बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन होने के बाद सेना द्वारा उसे अपदस्थ कर दिया गया था।    जब जज ने फैसला सुनाया तो सलाखों के पीछे बैठे मोर्सी ने गुस्से में हवा में मुट्ठी लहराई। जिन लोगों को सजा सुनाई गई है, उनमें से बहुत से लोग गिरफ्त में नहीं हैं। इनमें इस्लामिक विद्वान यूसुफ अल करादवी भी है, जो कतर में रह रहा है।    मुफ्ती सरकार करेगी फैसला मिस्र के कानून के मुताबिक किसी को मौत की सजा सुनाए जाने के बाद इस फैसले को मुफ्ती को भेज दिया जाता है। मुफ्ती सरकार का एक सलाहकार होता है, जो इस्लामिक कानून के मुताबिक फैसलों की व्याख्या करता है। मुफ्ती के फैसले के बाद ही कोर्ट दो जून को अंतिम फैसला सुनाएगी।

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