हो जाएं सावधान! होम और कार लोन हो सकता है महंगा

जोएल रेबेलो, मुंबई
आने वाले महीनों में होम और कार लोन महंगे हो सकते हैं क्योंकि बैंक रेट बढ़ने की शुरुआत हो चुकी है। एक्सिस बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, इंडसइंड बैंक और यस बैंक जैसे प्राइवेट सेक्टर के बैंकों ने जनवरी से अपना बेंचमार्क मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) 5 से 10 बेसिस पॉइंट बढ़ाया है। एक बेसिस पॉइंट 0.01 पर्सेंट पॉइंट होता है।

बैंकों ने अप्रैल 2016 में नए MCLR सिस्टम को अपनाने के बाद पहली बार रेट बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि इसकी वजह पिछले कुछ समय में डिपॉजिट पर बैंकों का भुगतान बढ़ना है। शॉर्ट-टर्म में रेट्स में तेजी जारी रह सकती है।

कोटक महिंद्रा बैंक के जॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर दीपक गुप्ता ने बताया, ‘सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट (CD) रेट्स सभी अवधियों के लिए 50 बेसिस पॉइंट तक बढ़े हैं। RBI ने पहले ही रेट्स में और गिरावट न आने का संकेत दिया है और ऐसा लगता है कि बैंक लेंडिंग रेट्स के भी यहां से नीचे जाने की संभावना कम है।’ कोटक महिंद्रा बैंक ने सभी अवधियों के लिए रेट 5-10 बेसिस पॉइंट बढ़ाए हैं।

बैंकों के पास MCLR के तहत सात विभिन्न अवधियां- ओवरनाइट, एक महीना, तीन महीने, छह महीने, एक वर्ष, दो वर्ष और तीन वर्ष हैं। MCLR से लिंक्ड सभी लोन के लिए रेट अब बढ़ जाएंगे।

RBI की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी ने 6 दिसंबर को पॉलिसी रेट 6 पर्सेंट पर बरकरार रखने का फैसला किया था। इससे पहले इन्फ्लेशन बढ़कर सात महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई थी। इसके साथ ही सरकार की उधारी को लेकर स्थिति स्पष्ट न होने के कारण गवर्नमेंट बॉन्ड की यील्ड में तेजी आई थी और इस महीने की शुरुआत में 10 वर्ष के बेंचमार्क बॉन्ड की यील्ड 7.38 पर्सेंट के साथ 18 महीने के उच्च स्तर पर चली गई थी।

यस बैंक और इंडसइंड बैंक ने भी जनवरी से सभी अवधियों के लिए MCLR रेट 10 बेसिस पॉइंट तक बढ़ाने की घोषणा की है। दोनों बैंकों का कहना है कि यह इस बात का संकेत है कि शॉर्ट टर्म में इंट्रेस्ट रेट का मूवमेंट कैसा रहेगा।

यस बैंक के सीईओ राणा कपूर ने कहा, ‘शॉर्ट टर्म रेट्स बढ़ रहे हैं और इनके बारे में पूर्वानुमान लगाना मुश्किल है क्योंकि मार्केट तेजी से प्रतिक्रिया दे रहा है। हमारे रेट्स में बदलाव मार्केट की मौजूदा स्थितियों को दिखा रहा है।’

इंडसइंड बैंक के ट्रेजरी हेड अरुण खुराना के अनुसार, ‘हमारे डिपॉजिट रेट बढ़ गए हैं और इसी वजह से हमें लेंडिंग रेट में बदलाव करना पड़ा है।’

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