सुबह भी जूलर्स शॉप पर छापेमारी जारी थी

रामेश्वर दयाल, नई दिल्ली

पुरानी दिल्ली के बड़े बाजार कल यूं ही बंद नहीं हुए। असल में बाजारों में सरकारी अफसरों की आवाजाही थी, जिसके बाद अफवाहों का दौर शुरू हुआ कि बाजारों में छापेमारी शुरू हो गई है। कल दरीबा कलां की जिस मशहूर दुकान पर छापेमारी हुई, वहां सुबह भी जांच चल रही थी और आईटी की टीम दुकान के खातों की जांच कर रही थी। जांच टीम में दो महिला अधिकारी भी शामिल हैं।

सूत्र बताते हैं कि दरीबा की रसूख वाली जिस दुकान पर छापा पड़ा, उसके मालिक भी शाम को दुकान बंद कर निकलने वाले थे, बस इसी दौरान आईटी (इनकम टैक्स) विभाग के 20 अफसरों की टीम ने दुकान पर धावा बोल दिया और उसके मालिकों से कैश बुक दिखाने को कहा। सूत्र बताते हैं कि जिस रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़े नोट बंद करने की घोषणा की थी, उसी रात इस दुकान के मालिकों ने बिल बुकों में बैक डेट से करोड़ों रुपये की खरीदारी शो दिखा दी थी। इसी खरीदारी ने उन्हें फंसा दिया। दुकान मालिकों से रात भर इस बात की पूछताछ होती रही कि वे बताएं कि करोड़ों रुपये की जूलरी किन-किन लोगों को बेची गई है। इसी आरोप पर रात भर जांच चलती रही और खबर लिखे जाने तक आईटी अफसरों की जांच चल रही थी।

सूत्र बताते हैं कि पुरानी दिल्ली के बाजारों में दोपहर बाद करीब 4 बजे यह अफरातफरी फैली कि बाजारों में आईटी, डीआरआई और वैट अधिकारी प्रवेश कर चुके हैं और उनका मकसद छापेमारी करना है। यह सूचना सबसे पहले इलेक्ट्रिक मार्केट भागीरथ पैलेस में फैली, जिसके बाद दुकानदारों ने धड़ाधड़ अपनी दुकानों के शटर गिराना शुरू कर दिए। उसके बाद यह सूचना जूलर्स बाजार कूंचा महाजनी में पहुंची, वहां के कारोबारियों ने भी फटाफट दुकानें बंद करना शुरू कर दी। उसके बाद तो बाजार बंद करने का दौर शुरू हो गया। पूरा चांदनी चौक शाम होते- होते बंद हो गया, उसके बाद दरीबा बंद हुआ, फिर बाजार बंद होने का सिस्टम फतेहपुरी से होते हुए खारी बावली पहुंचा। उसके बाद नया बाजार बंद हुआ और आखिर में सदर बाजार भी बंद हो गया। बाजार बंद की सूचना यमुनापार भी पहुंची और वहां के दुकानदार भी अपनी दुकानें बंद कर घरों की ओर निकल गए।

बताते हैं कि इन बाजारों के कारोबारी नेताओं ने दुकानदारों से अपील की कि छापेमारी की सूचनाएं मात्र अफवाह हैं, इसलिए वे दुकानों को बंद न करें। लेकिन किसी भी दुकानदार ने उनकी गुजारिश नहीं मानी। एक नेता के अनुसार पिछले 40 साल में उन्होंने इतने कम वक्त में बिना किसी सर्कुलर के दुकानों को बंद होते नहीं देखा। जिस दुकानदार को जैसा मौका मिला, वह अपना सामान अंदर रखकर दुकान बंद कर निकलता रहा। दुकानदार अपनी दुकानों को बंद कर बाजारों से बाहर निकल आए, इस दौरान खासा तनाव भी रहा। लेकिन अपनी दुकानों को छापेमारी से बचाने के लिए दुकानदारों ने घर की ओर जाना मुनासिब समझा।

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