‘सुप्रीम-आदेश’ का पालन कर रहे हैं अधिकारी

रामेश्वर दयाल

दिल्ली सरकार के अफसरों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अलावा नियम-कानूनों का पूरी तरह पालन कर रहे हैं। इसलिए उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना को कोई केस नहीं बनता है। इस आशय की सूचना राजनिवास तक भी पहुंचा दी गई है। दिल्ली सरकार के अधिकारों को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आज दोपहर उपराज्यपाल अनिल बैजल से मिलने जा रहे हैं। इस बैठक में न तो चीफ सेक्रेटरी शामिल होंगे और न ही सरकार के अन्य आला नेता।

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के जजमेंट के बाद डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग से जुड़ी फाइल सर्विसेज विभाग को भिजवाई थी, लेकिन विभाग ने सूचित कर दिया था कि यह मसला सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। इससे खफा होकर सिसोदिया ने चीफ सेक्रेटरी अंशु प्रकाश समेत अन्य आला अफसरों को चेतावनी दी थी कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना कर रहे हैं। डिप्टी सीएम ने कहा था कि फिलहाल इस मसले पर वकीलों की सलाह ली जा रही है। इस आशय की चेतावनी सिसोदिया ने कल शाम का एक बार फिर से अफसरों को दी थी, कि सरकार का आदेश मानें या अवमानना के लिए तैयार रहें।

लेकिन सरकार के अधिकारी मान रहे हैं कि इस मसले पर वे सुप्रीम कोर्ट के दिए जजमेंट के अलावा नियम कानून का भी पालन कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि इस मसले पर चीफ सेक्रेटरी की कल उपराज्यपाल अनिल बैजल से बातचीत हुई थी। सीएस ने एलजी को बता दिया कि वह और उनके अधिकारी कोई कोताही नहीं बरत रहे हैं और नियमों के अनुसार ही काम कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं इस मसले पर सीएस ने विधि विभाग के अलावा केंद्रीय गृह मंत्रालय के अफसरों से भी बात की थी कि दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग किसका विषय है। उन तक जो सूचना आई, जिसमें कहा गया कि वह अभी भी राजनिवास के पास ही है, क्योंकि राष्ट्रपति ने अपना यह अधिकार उन्हें सौंप रखा है।

फिलहाल इस मसले को लेकर उपराज्यपाल व सीएम की आज होने वाली बैठक में सबकी निगाहें हैं। इस बैठक में डिप्टी सीएम भी होंगे। राजनिवास सूत्रों के अनुसार बैठक में सरकार से उसका पक्ष पूछा जाएगा और उसके बाद कोई निर्णय लिया जाएगा। उसका कारण यह है कि सीएम ऐसी बैठकों की अपने हिसाब से व्याख्या करते हैं। जो सूचना मिली है, उसके अनुसार इस बैठक में सीएस व अन्य कोई आला अधिकारी शामिल नहीं होंगे। इस मसले पर कहा जा रहा है कि यह सरकार की राजनिवास के साथ कोई आधिकारिक बैठक नहीं है, इसलिए अधिकारी बैठक में शामिल नहीं होंगे। वरना इस तरह की बैठकों में अफसर शामिल होते रहते हैं।

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