सरकार कर रही फिच रेटिंग में सुधार की कोशिश, 12 साल से नहीं हुआ बदलाव

नई दिल्ली
भारत ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय रेटिंग एजेंसी फिच के साथ बैठक में आज अपनी वित्तीय साख का स्तर ऊंचा किए जाने के पक्ष में तर्क देते हुए अर्थव्यवस्था में तेजी, राजकोषीय स्थिति की मजबूती तथा नई माल एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था में स्थिरता का हवाला दिया। फिच ने करीब 12 साल से भारत की रेटिंग में बदलाव नहीं किया है। भारत चाहता है कि फिच अपनी प्रतिद्वंद्वी मूडीज इन्वेस्टर सर्विस की तर्ज पर उसकी साख के स्तर को ऊंचा करे।

मूडीज ने 2004 के बाद पहली बार पिछले साल नवंबर में भारत की रेटिंग में सुधार किया था। फिच ने आखिरी बार एक अगस्त, 2006 में भारत की साख को बीबी प्लस से सुधार कर स्थिर परिदृश्य के साथ बीबीबी(-) किया था। अगले कुछ महीनों में फिच भारत की रेटिंग की समीक्षा करने वाली है। उससे पहले हुई इस बैठक में फिच के निदेशक (सॉवरेन रेटिंग्स) थॉमस रुकमाकर और अन्य अधिकारियों ने आज आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग, मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन तथा प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल से मुलाकात की।

खबरों के मुताबिक, बैठक के दौरान सरकार ने कहा कि वह राजकोषीय मजबूती की रूपरेखा पर आगे बढ़ेगी और 2020-21 तक राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तीन प्रतिशत पर लाएगी। सरकार की ओर से कहा गया कि वह बजट घाटे को कम करने के संशोधित लक्ष्य को पूरा करेगी। सूत्रों ने कहा कि वित्त मंत्रालय ने फिच के अधिकारियों से कहा कि वह राजकोषीय मजबूती की राह पर चल रहे हैं और देश इस साल राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.5 प्रतिशत पर सीमित रखने में सफल रहा है।

मंत्रालय के अधिकारियों ने फिच को यह भी बताया कि वे राजकोषीय मोर्चे पर किसी तरह की ढिलाई नहीं बरत सकते, क्योंकि इससे मुद्रास्फीति प्रभावित होती है। रूपरेखा के तहत अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को 3.3 प्रतिशत, 2019-20 में 3.1 प्रतिशत और 2020-21 तक 3 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा गया है। सूत्रों ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी ने जीएसटी तथा पंजाब नैशनल बैंक के घोटाले के बारे में भी पूछताछ की।

इसपर मंत्रालय की ओर से कहा गया कि ई- वे बिल शुरू होने के बाद इनवॉयस या बिलों का मिलान होने से अगले सात-आठ महीनों में राजस्व संग्रह सुधरेगा। मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि जीएसटी के बाद करदाताओं की संख्या बढ़ी है। पीएनबी घोटाले पर मंत्रालय ने कहा कि इसकी जांच चल रही है और जांच पूरी होने के बाद कार्रवाई की जाएगी। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के बारे में मंत्रालय ने कहा कि अभी यह एजेंडा में नहीं है। पीएनबी घोटाला सामने आने के बाद से सरकारी बैंकों के निजीकरण की मांग उठने लगी है।

पिछले साल मई में फिच ने भारत की सॉवरेन रेटिंग को स्थिर परिदृश्य के साथ बीबीबी (-) पर कायम रखा था। भारत को यह रेटिंग 11 साल पहले दी गई थी। संसद में 2018-19 का बजट पेश किए जाने के बाद फिच रेटिंग्स ने कहा था कि सरकार पर ऊंचे कर्ज का बोझ रेटिंग सुधारने की राह में बाधा है। भारत का कर्ज और जीडीपी का अनुपात फिलहाल 69 प्रतिशत है।

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