विश्व हिंदी सम्मेलन में प्रसिद्ध कवि प्रसून जोशी बोले, इतिहास भूल कर सकता है, संस्कृति नहीं

चर्चा की शुरुआत करते हुए प्रसून जोशी ने रामधारी सिंह दिनकर को उद्धृत करते हुए संस्कृति और सभ्यता के अंतर को रेखांकित किया।

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