विराट कोहली बोले, अधिक लोगों के करीब नहीं होने से मिलती है मदद

नई दिल्ली
भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली ने रविवार को इंग्लैंड के खिलाफ शानदार शतक लगाया। लक्ष्य का पीछा करते हुए यह कोहली की 17वीं सेंचुरी थी। इसके साथ ही उन्होंने रनों का पीछा करते हुए 17 सेंचुरी लगाने के सचिन तेंडुलकर के रेकॉर्ड की बराबरी कर ली। सचिन ने जहां इतनी सेंचुरी के लिए 232 पारियां खेलीं वहीं कोहली ने महज 96 पारियों में ही यह मुकाम हासिल कर लिया। पुणे में इंग्लैंड के खिलाफ खेली गई मैच जिताऊ 122 रनों की पारी उनके वनडे करियर की 27वीं सेंचुरी थी। इसके साथ ही कोहली और तेंडुलकर के बीच एक बार फिर तुलना शुरू हो गई है, लेकिन कोहली ने साफ कर दिया है कि सचिन के आंकड़ों तक पहुंचना बहुत मुश्किल होगा।

कोहली ने कहा, ‘मैं इतना लंबा (24 साल) न खेल पाऊं। 200 टेस्ट, 100 अंतरराष्ट्रीय शतक। ये लाजवाब आंकड़े हैं और इन तक पहुंच पाना लगभग नामुमकिन है, लेकिन यह बात जरूर है कि मैं हमेशा से एक अंतर पैदा करना चाहता हूं। मेरा मानना है कि मैं खेल को एक बेहतर मुकाम पर छोड़ूं। कोहली ने अपनी सफलता के पीछे एक राज इस बात को बताया कि उनके करीबियों की संख्या अधिक नहीं है, जोकि टाइम मैनेजमेंट नहीं करने देते और भटकाव पैदा करते हैं।

उन्होंने बीसीसीआई डॉट टीवी के लिए इंग्लैंड के पूर्व कप्तान नासिर हुसैन को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘मैं भाग्यशाली हूं कि बहुत अधिक लोगों से मेरी नजदीकी नहीं है। मैं सोचता कि यह आपके लिए यह मददगार है। यदि आपके पास दोस्तों या फिर बात करने वाले लोगों की संख्या ज्यादा होती है तो भटकाव होता है और टाइम मैनेजमेंट असंभव हो जाता है।’

दुनिया के बेहतरीन बल्लेबाजों में से एक विराट कोहली मानते हैं कि किसी को अपनी आकांक्षाओं को सीमित नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘मैं सोचता हूं, एक खिलाड़ी के तौर पर हम अपने आपको वहीं तक सीमित कर लेते हैं, जो हम कर रहे हैं, हम यह नहीं जानते कि क्या कर सकते हैं। मैं कभी इस इस तरह की सीमा नहीं बनाता। मैं हमेशा अपनी योग्यता को बढ़ाना पसंद करता हूं।’ उन्होंने कहा, ‘आपको आगे बढ़ने के लिए अच्छा बैलेंस बनाना होता है। अभी तक सब ठीक है। मैं कह सकता हूं कि बैलेंस बनाने में सफल हूं।’

‘तकनीक में सुधार किया’
भारतीय कप्तान विराट कोहली का मानना है कि उनकी तकनीक में खामिया और साथ इंग्लैंड में हर हाल में सफल होने की बेताबी के कारण 2014 का दौरा उनके लिए निराशाजनक रहा, जिसके बाद उन्होंने न सिर्फ अपनी मानसिकता बदली बल्कि अपनी बल्लेबाजी पर भी काम किया। कोहली ने कहा, ‘मैंने इंग्लैंड ( 2014) दौरे से पहले खुद पर बहुत अधिक दबाव बना दिया था। मैं वहां किसी भी हालत में रन बनाना चाहता था। मुझे नहीं पता कि उपमहाद्वीप के खिलाड़ियों के लिए अलग मानदंड क्यों तय कर दिए जाते हैं कि हमें कुछ खास देशों में अच्छा प्रदर्शन करना होगा और अगर आप ऐसा नहीं कर पाते हो तो आपको अच्छा खिलाड़ी नहीं माना जाएगा। ‘

उन्होंने कहा, ‘मैं इंग्लैंड में अच्छा प्रदर्शन करने के लिये बेताब था और फिर जब आप अच्छी शुरुआत नहीं करते हो तो फिर यह आपके दिलो दिमाग पर हावी हो जाता है। तकनीक महत्वपूर्ण है लेकिन जिन लोगों की मजबूत तकनीक नहीं रही है वे भी बेहतर मानसिकता के कारण वहां स्कोर बनाने में सफल रहे। मेरे साथ समस्या यह थी कि मैं इनस्विंगर की बहुत उम्मीद कर रहा था तथा मैंने अपने कूल्हे को बहुत खोल दिया। मैं लगातार इनस्विंगर को ही देख रहा था और ऐसे में आउटस्विंगर को खेलने की स्थिति में नहीं रहता था। इसके बाद मैंने अपनी तकनीक में बदलाव किए। ’

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