वित्त वर्ष 2017-18 में औसत खुदरा मुद्रास्फीति 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान: एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट

नयी दिल्ली, 18 अप्रैल :: चालू वित्त वर्ष में खुदरा मुद्रास्फीति 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है और इस संदर्भ में मुद्रास्फीति उंची रहने की आशंका बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया लगता है। इस दौरान देश

में कीमतों में नरमी बने रहने की उम्मीद है।

एसबीआई शोध रिपोर्ट इकोरैप के अनुसार रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति के 4 से 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है लेकिन यह इससे कम रहेगा क्योंकि खुदरा मुद्रास्फीति इस साल जुलाई तक 4 प्रतिशत के आंकड़े को शायद ही पार करे।

उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति पहली छमाही में 4-4.5 प्रतिशत जबकि दूसरी छमाही में इसके 4.5 से 5 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है।

आधिकारिक आंकड़े के अनुसार ईंधन के दाम में कमी तथा रपये की विनिमय दर में गिरावट से थोक मुद्रास्फीति मार्च में कम होकर 5.7 प्रतिशत रही।

रिपोर्ट के अनुसार, ईंधन एवं बिजली मुद्रास्फीति तथा विनिर्माण उत्पादों के दाम में कमी से यह गिरावट आयी। ईंधन के दाम में 31 मार्च को उल्लेखनीय कटौती हुई वहीं रपये की विनिमय दर फरवरी 2017 से लगातार मजबूती में बनी हुई है। इन दो कारकों से ईंधन एवं विनिर्मित उत्पादों की कीमतें कम हुई हैं।

इसमें कहा गया है कि 2017-18 में औसतन खुदरा मुद्रास्फीति गिरावट के साथ 4.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वहीं 2016-17 में यह औसतन 4.5 प्रतिशत रही थी।

रिपोर्ट के मुताबिक कुल मिलाकर मुद्रास्फीति को लेकर आशंका को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है और हम अगले एक-दो महीनों में मुद्रास्फीति में नरमी देखेंगे।

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