विजय माल्या जैसे डिफॉल्टर्स को पहचानने के लिए ‘फेस रीडिंग’ का सहारा लेंगे बैंक

नई दिल्ली
विजय माल्या जैसे डिफॉल्टर्स से बचने के लिए गुजरात के कुछ बैंक चेहरा पढ़कर धोखाधड़ी करने वाले लोगों की पहचान करने की तैयारी कर रहे हैं। बैकों ने गुजरात फरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी से इस मामले में मदद मांगी है। बैंकों का कहना है कि यूनिवर्सिटी एक माइक्रो एक्सप्रेशन मैन्युअल उपलब्ध कराए जिससे वे अपने कर्मचारियों को माल्या जैसे लोगों की पहचान करने की ट्रेनिंग दे सकें।

क्या है माइक्रो एक्सप्रेशन?

माइक्रो एक्सप्रेशन सेकंड के 25वें हिस्से में चेहरे के भावों में होने वाले बदलाव हैं। ये अनैच्छिक होते हैं और व्यक्ति की सही भावनाओं को प्रकट करते हैं। ये बदलाव किसी बात को जानबूझकर छिपाने की वजह से भी होते हैं। खास बात यह है कि माइक्रो एक्सप्रेशन को कोई छिपा नहीं सकता।

बैंकों की यह योजना पिकासो के क्यूबिजम सिद्धांत से प्रेरित है। 20वीं शताब्दी में मॉडर्न आर्ट मूवमेंट में पेंटिंग में पूरी वस्तु न होकर इसे टूटे हुए रूप में देखा जाता था और फिर इकट्ठा करके वस्तु रूप दिया जाता था। जानकारों का कहना है कि चेहरे के भावों को पहचानकर धोखेबाज लोगों से बचा जा सकता है।

भारत में बैंकों के बढ़ते NPA को लेकर सिस्टम परेशान है। ऐसे में कई तकनीकी तरीके भी निकाले जा रहे हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी बैंकों को सावधान किया है। वहीं ईडी भी साइबर सिक्यॉरिटी और डिजिटल फरेंसिक ऑपरेशन को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। 14,000 करोड़ का पीएनबी घोटाला देश के बैंकों के इतिहास में एक गहरा दाग है। बैंक अब फूंक फूंककर कदम रखना चाहते हैं और ऐसी धोखाधड़ी से बचने की दिशा में काम कर रहे हैं।

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