वर्किंग प्रोफेशनल्स कैसे करें वेल्थ डिस्ट्रीब्यूशन?

उमा शशिकांत
मैंने हाल ही में वर्किंग प्रफेशनल्स के एक ऐसे ग्रुप से बात की जो अगले पांच से 10 साल में रिटायर होने वाला है। कभी वह भी वक्त था, जब लोग रिटायर होना पसंद नहीं करते थे। खाली बैठने की बात सोचकर उनमें घबराहट घर कर जाती थी। उसके बाद ऐसा दौर आया, जब सभी यह चिंता करने लगे कि क्या उन्होंने इतना पैसा बचाया है, जिससे उनका रिटायरमेंट आराम से गुजर सके। आज एक जेनरेशन से दूसरे जेनरेशन को फंड ट्रांसफर के बारे में सबसे अधिक सवाल पूछे जा रहे हैं। कई इन्वेस्टर्स ने इतना पैसा बचा लिया है, जिसका एक बड़ा हिस्सा रिटायरमेंट के बाद भी बचा रह जाएगा। वे इस संपत्ति को री-डिस्ट्रीब्यूट करने के बारे में सवाल कर रहे हैं।

इन वर्किंग प्रफेशनल्स से बात करने पर कई पॉजिटिव फैक्टर्स सामने आए। इन लोगों को 1991 से पहले का शॉर्टेज वाला दौर अच्छी तरह याद है। इन लोगों ने काफी बचत की है और हाथ बांधकर पैसे खर्च करते हैं। इनकी इनकम और ग्रोथ अच्छी रही है। कर्इ लोगों के पास ईसॉप्स हैं और अपने बिजनस में हिस्सेदारी भी है। डॉक्टर, वकील और आर्किटेक्ट जैसे सेल्फ-एंप्लॉयड प्रफेशनल्स की आमदनी में तेज बढ़ोतरी हुई है और उनके पास अच्छी-खासी संपत्ति है।

बचत की शुरुआत में वर्किंग प्रफेशनल्स के पास बहुत पैसा नहीं था। हालांकि, बच्चों के बड़े होने और उसके बाद उनके करियर की खातिर घर छोड़ने के बाद इन लोगों के पास काफी पैसा बचा हुआ है। एक दंपती ने मुझे बताया कि अब वे अपनी आमदनी का 90 पर्सेंट हिस्सा बचा रहे हैं। उन्हें कोई रेंट नहीं देना पड़ता। कार या सामान नहीं खरीदना है और ना ही बच्चों की फीस देनी है या उनकी दूसरी ऐक्टिविटीज पर कोई पैसा खर्च करना है। इनमें से कई ऐक्टिव इन्वेस्टर रहे हैं और उन्हें 1990 के दशक के बाद से शेयर बाजार में आई तेजी का भी बहुत फायदा हुआ है।

दरअसल, इन लोगों ने बच्चों की खातिर पैसे जमा किए, लेकिन अब बच्चों को उनके पैसों की जरूरत नहीं है। इन लोगों के बच्चों की ग्रोथ भी बढ़िया रही है। वे अच्छी नौकरी कर रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि वे पैरंट्स को बचाए गए पैसे दुनिया देखने में खर्च करने की सलाह दे रहे हैं। इन बच्चों की माता-पिता की संपत्ति में दिलचस्पी नहीं है।

आइए देखते हैं कि ये वर्किंग प्रफेशनल्स किस तरह अपनी वेल्थ डिस्ट्रीब्यूट कर सकते हैं?
इनको संपत्ति का एक हिस्सा अपने रिटायरमेंट के लिए रखना होगा। कुछ हिस्सा टैक्स चुकाने में चला जाएगा। कुछ संपत्ति वारिसों के लिए रखनी होगी। कुछ रकम से चैरिटी की जा सकती है। वेल्थ डिस्ट्रीब्यूशन के लिए पहले यह काम करना चाहिए। उसके बाद, यह तय करना चाहिए कि संपत्ति को किस फॉर्म में रखना और कैसे ट्रांसफर करना है।

रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी के लिए जो पैसा चाहिए, उसे फाइनैंशल असेट्स के तौर पर रखा जा सकता है। चैरिटी के लिए अलग लीगल एंटिटी बनाकर उसमें पैसा ट्रांसफर कर सकते हैं। इससे आपके नहीं रहने पर इस पैसे का दुरुपयोग नहीं हो पाएगा। तीसरा, आप जो भी योजना बना रहे हैं, उसके टैक्स वाले पहलू को समझें। चौथा, आपको वसीयत बनानी चाहिए या कोई फैमिली फाउंडेशन या ट्रस्ट बना सकते हैं, जिसमें आपकी संपत्ति होगी।

इसमें आप तय कर सकते हैं कि आपके निवेश से मिलने वाली रकम ही बच्चों को मिलेगी और मूल रकम आप नाती-पोते या चैरिटी के नाम कर सकते हैं। इसमें आप ऐसे लोगों को भी बेनेफिशियरी घोषित कर सकते हैं, जो आपके वारिस नहीं हैं। वहीं, बच्चों से इस बारे में जरूर बात करिए। अगर वे नौकरी कर रहे हैं तो उन्हें यह बात भी समझ में आ जाएगी कि आप अपने पैसे का क्या करना चाहते हैं।

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