राष्ट्रमंडल तकनीकी सहयोग कोष में भारत दोगुना करेगा योगदान

लंदन
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तकनीकी सहयोग के लिए बनाए गए राष्ट्रमंडल कोष में भारत के योगदान को दोगुना करने की घोषणा के साथ ही छोटे द्वीपीय देशों को विकासात्मक सहयोग देने की प्रतिबद्धता जताई है। राष्ट्रमंडल सदस्य देशों की सरकार के प्रमुखों की बैठक (CHOGM) के कार्यकारी सत्र के दौरान यहां मोदी ने कहा कि छोटे देशों और छोटे द्वीपीय देशों की क्षमता निर्माण की जरूरत है। वह भी राष्ट्रमंडल का हिस्सा हैं।

पत्रकारों के साथ एक वार्ता में यहां विदेश मंत्रालय की सचिव (पश्चिम) रुची घनश्याम ने कहा कि भारत इन छोटे द्वीपीय और तटीय देशों की क्षमता निर्माण में मदद करने जा रहा है। इसके लिए गोवा स्थित राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान उन्हें प्रशिक्षण प्रदान करेगा। गुरुवार के सत्र में लोकतंत्र की मजबूती और कानून का राज एवं अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रणाली की स्थिति जैसे मुद्दे चर्चा के प्रमुख विषय रहे। इसके साथ ही राष्ट्रमंडल देशों को पेश आ रहे सुरक्षात्मक मुद्दों, सतत विकास लक्ष्यों को पाने और जलवायु परिवर्तन के विषय पर भी विचार-विमर्श किया गया।

रुचि ने कहा कि अपनी बात रखते हुए मोदी ने कई महत्वपूर्ण मामलों को सामने रखा जिनमें सतत विकास लक्ष्यों को पाने और जलवायु परिवर्तन पर सहयोग की बात शामिल है। इस पूरे सम्मेलन में मोदी की सबसे महत्वपूर्ण घोषणा तकनीकी सहयोग के लिए बनाए गए राष्ट्रमंडल कोष में भारत के योगदान को दोगुना करने की रही। हालांकि रुचि ने इस संबंध में मौजूदा योगदान के कोई आंकड़े पेश नहीं किए। मोदी ने यह भी कहा कि न्यू यॉर्क स्थित भारत के स्थायी मिशन के माध्यम से वह राष्ट्रमंडल सदस्य देशों के लिए छोटी परियोजनाओं में हिस्सा लेता रहेगा। इसके अलावा मोदी ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की मदद से भारत में 16 साल से कम उम्र के 30 लड़के और 30 लड़कियों के लिए क्रिकेट प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने की भी घोषणा की। प्रधानमंत्री के पूरे संबोधन का लब्बोलुआब राष्ट्रमंडल के छोटे देशों और छोटे द्वीपीय विकासशील देशों को सहायता देने पर था।

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