यूपी: हरदोई से हुई थी होली की शुरुआत

सुधांशु मिश्र, हरदोई
होली का पर्व नजदीक आ चुका है और इसकी तैयारियां जोरों पर है। अब ऐसे में आपको बता दें कि इस पर्व का यूपी के हरदोई जिले से गहरा नाता है। आपको बता दें कि इस जिले का संबंध राजा हिरण्यकश्यप से था। राजा हिरण्यकश्यप ने ही हरदोई नाम रखा था जिसका जिसका अर्थ था हरि का द्रोही। ऐसी मान्यता है कि राजा को हरि का द्रोही माना जाता था।

ऐसी मान्यता है कि हरदोई को पूर्व में हरि द्रोही नगरी के नाम से लोग जानते थे। बाद में इसका नाम बदल दिया गया। राजा हिरण्यकश्यप की नगरी होने का प्रमाण आज भी शहर के सांडी रोड पर बने कई ऊंचे टीले साबित कर रहे हैं। जो किसी महाराजा की नगरी होने की बयां कर रहे हैं।

होली को लेकर यह कथा है प्रचलित
पुरातन काल की कथानुसार अपने भाई की मृत्यु का बदला लेने के लिए राक्षसराज हिरण्यकश्यप ने कठिन तपस्या करके ब्रह्माजी और शिवजी को प्रसन्न किया। इसके बाद उन्होंने अजेय होने का वरदान प्राप्त कर लिया। वरदान प्राप्त करते ही वह प्रजा पर अत्याचार करने लगा और उन्हें यातनाएं और कष्ट देने लगा। जिससे प्रजा अत्यंत दुखी रहती थी।

हरि भक्त प्रहलाद ने प्रजा को दिलाई थी मुक्ति
हिरण्यकश्यप की पत्नी कयाधु ने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम प्रहलाद रखा गया। राक्षस कुल में जन्म लेने के बाद भी बचपन से ही प्रहलाद श्री हरि का भक्त था। हिरण्यकश्यप अपने बेटे प्रहलाद के मन से हरि भक्ति को खत्म करना चाहता था मगर ऐसा नहीं कर सका।

इसलिए होती है होलिका दहन
हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को जलाने का षड्यंत्र रचा और अपनी बहन की होलिका की गोद में उसे बैठाकर उसकी जान लेने की कोशिश की। इसमें होलिका तो जल गई मगर श्री हरि भक्त प्रहलाद की जान बच गई। इसी खुशी में आज होलिका दहन का उत्सव मनाया जाता है। प्रहलाद ने क्रूर राजा हिरण्यकश्यप को मौत के घाट उतारकर प्रजा की रक्षा की थी।

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