यमुना रिवर फ्रंट के विकास की योजना खटाई में

रामेश्वर दयाल, नई दिल्ली

यमुना नदी के किनारे को विश्वस्तरीय रूप से विकसित करने की योजना खटाई में पड़ी हुई है। दिल्ली सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए अपने पिछले साल के बजट में 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था, इसके बावजूद भी इस पर कोई काम नहीं हो पाया है। योजना को शुरू करने के लिए संबंधित विभाग एनओसी (अनापत्ति प्रमाणपत्र) जारी ही नहीं कर रहे हैं, जिसके चलते यह काम रुका पड़ा है। यह प्रोजेक्ट दिल्ली की पूर्व कांग्रेस सरकार का था, जिसे आम आदमी पार्टी सरकार ने अपने घोषणापत्र में शामिल किया था।

दिल्ली सरकार के सूत्रों के मुताबिक इस प्रोजेक्ट को पर्यटन विभाग ने तैयार करना है। सूत्र बताते हैं कि इस मसले को लेकर पिछले दिनों उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एक बड़ी बैठक बुलाई थी और यमुना के किनारों को विश्वस्तरीय स्तर पर विकसित किए जाने वाले प्रोजेक्ट की जानकारी मांगी थी। इस बैठक में पर्यटन विभाग, पीडब्ल्यूडी, पर्यावरण, सिंचाई व बाढ़ नियंत्रण सहित अन्य विभागों के आला अधिकारी मौजूद थे। बताते हैं कि बैठक में पर्यटन विभाग के अफसरों ने उप मुख्यमंत्री को जानकारी दी कि इस प्रोजेक्ट को लेकर संबंधित विभागों से अभी तक एनओसी प्राप्त नहीं हुए हैं, इसलिए इस पर काम शुरू नहीं हो पा रहा है। मंत्री ने इस मसले पर हैरानी जताई और कहा कि यह सरकार का महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है, इससे यमुना के किनारे तो विकसित होंगे ही साथ ही यमुना का प्रदूषण भी कम होगा, इसलिए विभागों को इस प्रोजेक्ट पर गंभीरता दिखानी चाहिए। लेकिन यह प्रोजेक्ट कब शुरू होगा, इस पर कोई सर्वसहमति नहीं बन पाई।

क्या है प्रोजेक्ट

यमुना रिवर फ्रंट को विकसित करने की योजना काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इसी के चलते सरकार ने अपने पिछले बजट में इस प्रोजेक्ट के लिए 500 करोड़ रुपये भी निर्धारित कर दिए थे। इस प्रोजेक्ट के तहत वजीराबाद के आसपास पांच किलोमीटर के दायरे में यमुना रिवर को विश्वस्तरीय इकोलॉजिकल बनाने की योजना है। जिसक चलते यह इलाका पर्यटकों के लिए तो विकसित होगा ही साथ ही उसे इस तरह से विकसित किया जाएगा कि लोग अपने को यमुना और प्रकृति से जुड़ा महसूस करें। इस प्रोजेक्ट से यमुना को प्रदूषण से बचाने और वन्यजीवों को सहारा देने वाले स्थानीय वातावरण के अनुकूल पौधों की विविध प्रजातियों के विकास में मदद भी मिलेगी। इस इलाके में बड़ा वोटिंग क्लब भी खोला जाएगा और यमुना में गिरने वाले नालों को नदी से अलग कर दिया जाएगा।

कांग्रेस के वक्त की है यह योजना

यमुना रिवर फ्रंट को विकसित करने की योजना पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने बनाई थी। पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित इस प्रोजेक्ट को लेकर काफी गंभीर थी और उन्होंने इस प्रोजेक्ट का ब्लू प्रिंट भी तैयार करवा लिया था। उन्होंने इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी को सौंपी थी, लेकिन यमुना पर सिग्नेचर ब्रिज बना रहे पर्यटन विभाग को इसका काम सौंप दिया गया। सरकार ने महसूस किया था कि चूंकि पर्यटन विभाग यमुना पर बड़ा काम कर रहा है, इसलिए उसके लिए इस प्रोजेक्ट को पूरा करना आसान रहेगा। इस प्रोजेक्ट को लेकर सरकार के आला अफसरों ने विदेश भ्रमण भी किया था। आम आदमी पार्टी सरकार ने भी इस प्रोजेक्ट को लेकर खासी गंभीरता दिखाई थी और अपने घोषणापत्र में इसे शामिल किया था। फिलहाल प्रोजेक्ट अटका पड़ा है।

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