मोदी सरकार की मुहिम के बाद बैंकों के फंसे कर्ज में पहली बार कमी

मुंबई
फंसे कर्जों के बोझ से दबे बैंकों की हालत सुधारने की मुहिम में मोदी सरकार को पहली बार कुछ सफलता मिलती दिख रही है। NPA के रेकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद 2015 में सरकार शुरू किए गए प्रयासों के ताजा परिणाम से यह संकेत भी मिलता है कि सख्त नियमों और इनसॉल्वेंसी ऐंड बैंकरप्सी कोड के अच्छे नतीजे दिख सकते हैं।

स्ट्रेस्ड लोन, जिसमें नॉन परफॉर्मिंग असेट्स (NPA) और रीस्ट्रक्चर्ड या रोल्ड ओवर लोन्स शामिल हैं, सितंबर के अंत में 0.4 फीसदी कमी के साथ 9.46 लाख करोड़ रुपये पर आ गया। सेंट्रल बैंक के अप्रकाशित आंकड़ों के हवाले से रॉयटर्स ने यह जानकारी दी है।

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रॉयटर्स ने इससे पहले जो डेटा देखा था उसके मुताबिक पिछले साल जून के अंत में स्ट्रेस्ड लोन 9.5 लाख करोड़ रुपये के रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था। यह कुल लोन का 12.6 फीसदी हिस्सा था। ताजा आंकड़ों के मुताबिक यह अनुपात अब 12.2 फीसदी है।

तिमाही आंकड़ों के मुताबिक 2015 के बाद यह पहली बार है कि फंसे हुए कर्जों में कमी आई है। वार्षिक आधार पर देखें तो 2006 से अब तक इसमें लागातार वृद्धि हुई है।

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