मेरे पास कामयाबी से ज्यादा फेलयर हैं: राहुल द्रविड़

बेंगलुरु
भारतीय क्रिकेट में ‘द ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया’ के नाम से मशहूर टीम इंडिया के संकटमोचक बल्लेबाज राहुल द्रविड़ को कोई नाकामयाब कह, तो शायद आप गुस्से में आग बबूला हो जाएं। लेकिन यह बात अपने बारे में खुद राहुल द्रविड़ कहें तो…। हाल ही में बेंगलुरु में हुए ‘गो स्पोर्ट्स ऐथलीट्स’ कार्यक्रम में राहुल द्रविड़ ने माना कि उनके पास सक्सेस से ज्यादा फेलयर हैं। अपने-अपने क्षेत्र में कामयाबी टटोल रहे युवाओं के लिए द्रविड़ की यह बात मील का पत्थर हो सकती है। कामयाबी का रास्ता असफलताओं से होकर गुजरता है और यह बात टीम इंडिया के पूर्व दिग्गज बल्लेबाज राहुल द्रविड़ से बेहतर कौन जानता है।

द्रविड़ ने बताया, ‘जब मैं क्रिकेट खेलता था, तो मैं एक बात जानता था कि अगर कोई बैट्समैन हाफ सेंचुरी बना दे, तो इसे अच्छा परफॉर्मेंस माना जाता है। क्रिकेट के सभी फॉर्मेट्स में मुझे कुल 604 बार भारत की ओर से बैटिंग का मौका मिला। इनमें से 410 बार मैं 50 का आकड़ा पार नहीं कर पाया, तो इससे साफ है कि मैंने सक्सेज होने से ज्यादा फेल हुआ। तो ऐसे में मैं फेलयर पर बात करने के लिए सबसे ज्यादा क्वॉलिफाइड हूं।’

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44 वर्षीय राहुल द्रविड़ ने आगे बताया, ‘अगर मेरी पीढ़ी के सबसे सफल बल्लेबाज सचिन तेंडुलकर की ही बात करें, तो भले ही उन्होंने 100 इंटरनैशनल शतक जड़े हैं। लेकिन भारत के लिए 781 बार खेलने वाले सचिन भी 517 बार 50 के इस आकड़े को पार नहीं कर पाए। तो ऐसे में वह भी सफल होने से ज्यादा असफल ही रहे।’ द्रविड़ ने कहा, ‘मैंने अपने दौर के महान खिलाड़ियों या ऐथलीट्स (जिन्हें मैं जानता हूं) से जो सीखा, वह यह है कि वे सभी अपने फेलयर के प्रति एक खास रवैया रखते थे। वे जानते थे कि कैसे बेहतर ढंग से फेल हो सकते हैं।’

इस मौके पर द्रविड़ ने साल 2001 में कोलकाता टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाप खेली गई अपनी ऐतिहासिक पारी का भी जिक्र किया। द्रविड़ ने बताया कि कैसे उस पारी से पहले उन्हें ऑस्ट्रेलिया के तत्कालीन कप्तान स्टीव वॉ ने स्लेज किया था और उसके बाद उन्हें उससे कैसे खुद को साबित करने की प्रेरणा मिली। द्रविड़ ने कहा, ‘उस सीरीज में और उससे पहले मैं रनों के लिए लगातार संघर्ष कर रहा था। मैं मुंबई टेस्ट में भी फ्लॉप रहा था और मैंने कोलकाता टेस्ट की पहली पारी में भी रन नहीं बनाए थे। इस कारण टीम मैनेजमेंट ने मेरे बैटिंग क्रम में भी बदलाव कर दिया और मुझे खिसकाकर नंबर 6 पर बैटिंग के लिए कहा। जब मैं दूसरी पारी में बैटिंग पर आया, तो विपक्षी टीम के कैप्टन स्टीव वॉ ने मुझे कहा, राहुल अब नंबर 6 पर आ गए, अगले मैच का क्या? क्या नंबर 12 पर दिखोगे। उस वक्त मेरे पास अपने अतीत या अपने भविष्य पर सोचने का मौका नहीं था। मैंने उसे पारी पर फोकस किया। वैसे भी किसी भी क्रिकेटर के पास एक वक्त में एक बॉल पर ही फोकस करने का समय होता है। जब मेरी यह पारी खत्म हुई, तो मैं 180 रन बना चुका था।’

द्रविड़ ने आगे कहा, ‘इस टेस्ट में कंगारू टीम से पिछड़ रही टीम इंडिया अब कंगारू टीम को दबाव में घेर चुकी थी। अंत में हमने यह मैच जीता और इसके बाद अगला मैच जीतकर यह सीरीज भी अपने नाम कर ली।’

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