भुगतान सेवाओं के लिए लाइसेंस देने का काम सरसरी तौर पर नहीं किया जा सकता: गांधी

मुंबई, 20 फरवरी :भाषा: रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर आर गांधी ने आज कहा कि भुगतान सेवाओं के लिये लाइसेंस देने का काम टिक लगाने जैसा नहीं होगा क्योंकि ऐसी इकाइयों के पास लोगों के धन की जिम्मेदारी होगी और इसीलिए उनके मामले में सही और उपयुक्त होने की कसौटी का होना महत्वपूर्ण है।

गांधी यहां भुगतान समाधान प्रदाता भारतक्यूआर के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे। यह भुगतान समाधान विभिन्न प्रणालियों पर चल सकता है। डिप्टी गवर्नर गांधी ने कहा कहा, एक तरह से यह सुझाव हैं कि इस :भुगतान: क्षेत्र को लाइसेंस व्यवस्था से मुक्त किये जाने की जरूरत है और कुछ मानदंड तय कर दिए जांए और जो भी इकाई उन मानदंडों को पूरा करती हो उन्हें काम काम करने की अनुमति दे दी जाए, चाहे वे कितनी भी संख्या में हों। हम इस विचार से सहमत नहीं है।

उन्होंने कहा, भुगतान सेवा क्षेत्र में इस प्रकार का मुक्त प्रवेश उपयुक्त नहीं हो सकता। हमें यह याद रखना चाहिए कि भुगतान सेवा प्रदाता के पास लोगों के धन की जिम्मेदारी होती है और इसीलिए उपयुक्त मानदंड रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसीलिए टिक लगाने जैसी आसान व्यवस्था सही नहीं होगी। इससे व्यवस्था के लिये खतरा हो सकता है।

गांधी ने कहा कि ऐसी गलत धारणा है कि भुगतान व्यवस्था परिदृश्य में बैंक इकाइयों के मुकाबले गैर-बैंक इकाइयों के साथ भेदभाव किया जाता है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि भुगतान व्यवस्था नियामक के रूप में रिजर्व बैंक ने गैर-बैंक इकाइयों के लिये जगह बनायी है और उन्हें विभिन्न भुगतान प्रणालियों के साथ जुड़ने की छूट दी है।

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