ब्रिटेन के परमाणु स्टेशनों और एयरपोर्टों को संभावित आतंकवादी हमलों को लेकर अलर्ट किया गया

लंदन
ब्रिटेन के परमाणु केंद्रों और हवाई अड्डों को संभावित आतंकवादी हमलों को लेकर ‘स्थितियों से निबटने के लिए तैयार’ रहने का निर्देश दिया गया है क्योंकि इस बात का डर है कि उनके सिस्टम को हैकर निशाना बना सकते हैं। संडे टेलिग्राफ ने खबर दी है कि सुरक्षा सेवाओं ने पिछले 24 घंटे में कई अलर्ट जारी किए हैं और चेतावनी दी है कि शायद आतंकवादियों ने सुरक्षा चाकचौबंद को दरकिनार करने के तरीके ईजाद कर लिए हैं।

खुफिया एजेंसियों का मानना है कि आईएसआईएस और अन्य आतंकवादी संगठनों ने संभवत: मोबाइल फोनों और लैपटोपों में विस्फोटक सामग्री लगाने की तकनीक ढूढ ली है जिससे हवाई अड्डों पर सुरक्षा जांच से बचा जा सकता है। समझा जाता है कि यह खुफिया सूचना ही थी जिसपर अमेरिका और ब्रिटेन ने कई देशों से विमान में लैपटॉप और बड़े इलेक्ट्रोनिक उपकरणों को लेकर आने वाले यात्रियों पर पाबंदी लगा दी। अखबार के अनुसार अब ऐसी आशंका है कि आतंकवादी यूरोपीय और अमेरिकी हवाई अड्डों पर जांच उपकरणों को चकमा देने के ऐसे तरीके अपना सकते हैं। इस बात का भी डर है कि कंप्यूटर हैकर परमाणु स्टेशनों के सुरक्षा उपायों को भेदने की कोशिश कर रहे हैं।

ब्रिटेन के ऊर्जा मंत्री जेसी नोर्मन ने कहा कि सरकार साइबर हमलों से ब्रिटेन को बचाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि साइबर सिक्यॉरिटी को पुख्ता करने के लिए ब्रिटेन ने 1.9 अरब पाउंड का निवेश किया है। फिर भी किसी भी तरह के संभावित आतंकी या साइबर हमले को नाकाम करने के लिए ब्रिटेन के सभी रिएक्टर्स को अलर्ट कर दिया गया है। ब्रिटेन में अभी 15 रिएक्टर काम कर रहे हैं जो उसकी ऊर्जा जरूरतों के करीब 20 प्रतिशत को पूरा करते हैं।

सुरक्षा विशेषज्ञों का भी मानना है कि खुफिया जानकारियों को गंभीरता से लेना होगा। रक्षा और सुरक्षा से जुड़े एक स्वतंत्र थिंक टैंक रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टिट्यूट के डेप्यूटी डायरेक्टर जनरल प्रफेसर मैल्कम चैंबलर्स का कहा है कि सरकार के लिए ‘तेजी से काम करना’ काफी अहम है। अखबार ने चैंबलर्स के हवाले से लिखा है, ‘संभावित खतरे की सूचनाएं काफी गंभीर हैं जो सरकारी और गैर-सरकारी सूत्रों से मिल रही हैं।’ उन्होंने कहा कि सरकारी और निजी क्षेत्र को मिलकर इस खतरे से निपटना होगा खासकर एयरपोर्टों की सुरक्षा के लिए यह काफी अहम है क्योंकि आम तौर पर एयरपोर्ट निजी हाथों में हैं।

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